Vinit Upadhyay
Ranchi: कोरोना के दूसरे फेज में कई अधिवक्ता कवि बनकर कविता गढ़ रहे हैं. लोगों के अधिकार और उनके कानूनी हक की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता इन दिनों खाली बैठे हुए हैं. इस खाली समय में कई अधिवक्ता दूसरे अधिवक्ताओं की मदद के लिए तत्पर दिख रहे हैं तो कुछ वकील कविता और गीत लिखकर अपनी छुपी हुई प्रतिभा को निखार रहे हैं. हाल के दिनों में कोरोना के कारण कई वकीलों की मौत हुई है. अपनी कविता के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. वकीलों के द्वारा लिखी गयी कविता में सभी भाव मौजूद है.
अधिवक्ता रतीश रौशन उपाध्याय ने एक कविता लिखी
मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए पिछले लगभग एक वर्ष से पूरे राज्य की न्यायपालिका वर्चुअल माध्यम से मुकदमों की सुनवाई कर रही है. और इस वर्चुअल सुनवाई पर रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता रतीश रौशन उपाध्याय ने एक कविता लिखी है. इस कविता के माध्यम से उन्होंने वर्चुअल सुनवाई के दौरान होने वाली परेशानी से लेकर कचहरी की मायूस होती गलियों तक का वर्णन किया है. इस कविता में हास्य के माध्यम से नकल निकालने के लिए वकीलों को किस विभाग में कितना चढ़ावा देना होता है इसका भी बखूबी वर्णन किया गया है.
कोरोना-काल में हमें पता चला कि
कोर्ट की असल पहचान हम वकील हैं,
क्योंकि सारे हाकीम तो इजलास छोड़कर
अपने -अपने घरों में सील हैं.
कल तक हमारी मोबाइल अगर बज जाती
तो हुजुर की भौहें हम पर तन जाती,
आज आनलाइन बहस का खेल हो रहा है
गुगल मीट पर हुजुर के यहां बेल हो रहा है.
कुछ हाकिम सीसको पर भी आते हैं
पर ऑडियो वीडियो डिस्को कर जाते हैं
आधे बहस पर लिंक कट जाता है
पर हुजुर का फैसला पुरा आता है.
कहने को तो कोर्ट वर्चुअल है
पर नकल विभाग का भविष्य उज्जवल है,
कई चक्कर लगाने पर स्टाफ हिलता है
प्रर्याप्त चढ़ावे के बाद ही नकल मिलता है.
फिजिकलकोर्ट की मांग ठंडेबस्ते में पडा़ है
अधिवक्ता समाज आस लिए खड़ा है,
उच्चतम न्यायालय वर्चुअल पर ही अड़ा है
हमारे लिए यह फैसला बेहद कड़ा है.
आज एक मित्र ने हमसे पुछ लिया
उपाध्यायजी कोर्ट कल से बंद हो रहा है?
मैने कहा जी खुला ही कब था!
बस कागज पर कल से बंद हो रहा है,
इतने पर उन्हें जोर से हंसी आई
सचमुच ज्यूडिसीयरी कर रहा है अपनी जगहंसाई.
"रतीश रौशन उपाध्याय"