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महाराष्ट्र में सियासी भूचाल, NCP में टूट, अजित पवार ने शिंदे-भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली

Mumbai : महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आ गया है. बदलते घटनाक्रम के बीच NCP नेता अजित पवार शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल हो गये हैं..उन्होंने आज राजभवन में  CM एकनाथ शिंदे और  डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस  की मौजूदगी में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.  एनसीपी के कुल 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है. इनमें अजित पवार सहित धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे, हसन मुश्रीफ, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल और शामिल हैं. इससे पहले अजित पवार अपने समर्थक विधायकों समेत राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे. कहा जा रहा है कि पवार के साथ पार्टी के 18 विधायक हैं. भाजपा-शिवसेना गठबंधन को समर्थन देने और सरकार में शामिल होने का अजित पवार का फैसला 2024 से पहले विपक्षी एकता के लिए एक झटका माना जा रहा है. .                                                   नेशनल">https://lagatar.in/category/desh-videsh/">नेशनल

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डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत भाजपा के कई नेता भी राजभवन में मौजूद थे.. अजित पवार के अलावा 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. इस संबंध में शरद पवार ने कहा कि शपथ समारोह को उनका समर्थन नहीं है. अजित पवार को 30 विधायकों के समर्थन की बात कही जा रही है. बता दें कि शरद पवार के करीबी प्रफुल्ल पटेल, दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल भी राजभवन पहुंचे हैं.

अजित पवार ने मुंबई में अपने आवास में विधायकों के साथ बैठक की

इससे पहले दिन में अजित पवार ने मुंबई में अपने आधिकारिक आवास देवगिरि में पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों के साथ बैठक की, बैठक में राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले उपस्थित थे. हालांकि, सुले बैठक से जल्द ही चली गयी. हालांकि, राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने पुणे में कहा कि उन्हें बैठक की जानकारी नहीं है. वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ संबंध तोड़ लिये थे. बाद में, राजभवन में एक समारोह में फडणवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन उनकी सरकार केवल 80 घंटे तक चली. इसके बाद ठाकरे ने एमवीए सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया. पिछले साल जून में, शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के कारण शिवसेना में विभाजन हो गया था और एमवीए सरकार गिर गई थी, जिसके बाद शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे. [wpse_comments_template]  

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