महज 10 प्रतिशत लाभुक ही कर रहे गैस का इस्तेमाल
जिले के आपूर्ति विभाग के आकड़े के अनुसार अभी उज्ज्वला योजना के कुल 2 लाख 9 हजार 901 लाभुक है, जिन्हें अलग-अलग गैस एजेंसियों से मुफ्त का गैस और चूल्हा मिल चुका है. लेकिन इनमें से 90 प्रतिशत महिलाएं कोयले पर खाना पका रही हैं. 10 प्रतिशत ही गैस सिलेंडर का घर में इस्तेमाल करती हैं. बातचीत में कुछ महिलाओं ने बताया कि एक माह में 500 से 600 रुपए का कोयला खर्च होता है, जबकि गैस के लिए लगभग 1200 रुपए चुकाने पड़ते हैं. सस्ता होने के कारण कोयला का इस्तेमाल करते है. मेहनत मजदूरी करने वाले लोग महंगी गैस कहां से लाएंगे.गली-मुहल्लों से लेकर होटलों में होती है कोयले की खपत
[caption id="attachment_709878" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="200" /> साइकिल पर बिकता कोयला.[/caption] घनी आबादी से लेकर होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा में कोयला का इस्तेमाल होता है. ज्यादातर घर में मकान मालिक के साथ 4 से 5 किरायेदार भी रहते हैं. इनमें मेहनत मजदूरी करने वाले से लेकर कम वेतन पर प्राइवेट जॉब करने वाले लोग शामिल हैं. किरायेदार के साथ कुछ मकान मालिक भी कोयले पर ही खाना पकाते हैं. सुबह और शाम को धुआं का गुब्बार साफ तौर पर तंग इलाकों में देखा जा सकता है. साथ ही कोयला बेचने वाले भी इन्हीं गलियों में हर दिन नजर आते हैं.
एक साल तक गैस नहीं लेने पर ब्लॉक हो जाता है कंज्यूमर नंबर
सिन्हा गैस एजेंसी के संचालक रौशन कुमार ने बताया कि धनबाद में कोयले की उपलब्धता होने के कारण गैस की खपत अन्य शहरों के मुकाबले कम है. बीपीएल के साथ सामान्य उपभोक्ता भी हर माह गैस नहीं लेते हैं. महज 10 प्रतिशत बीपीएल वाले गैस बुकिंग कराते हैं. अभी कंपनी ने नियम बनाया है कि एक साल तक गैस बुकिंग नहीं कराने पर उनका कंज्यूमर नंबर ब्लॉक कर दिया जाएगा. फिर जरूरी दस्तावेज जमा करने पर ही ओपन होता है. बताया कि सेल कम होने से नुकसान तो होता है, लेकिन क्या करें धनबाद का यही ट्रेंड है. गैस की बढ़ती कीमत भी एक कारण है. यह भी पढ़ें: धनबाद:">https://lagatar.in/dhanbad-villagers-will-have-to-be-given-rehabilitation-and-employment-at-a-safe-place-ratilal-tudu/">धनबाद:ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास व नियोजन देना होगा : रतिलाल टुडू [wpse_comments_template]
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