Ranchi : प्रकृति पर्व करम (करमा) भाद्र मास की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार करम की पूजा 25 सितंबर को होगी. इस दिन बहनें अपनी भाईयों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी. करम से 7 दिन पहले यानी आज मंगलवार से पर्व की शुरुआत जावा उठाने के साथ की. सरना-आदिवासी लड़कियों ने नदी से बालू लाकर अपने-अपने घरों, अखाड़ा और सरना स्थलों में जावा उठाया. जावा उठाने के दौरान लड़कियों ने करम गीत भी गाया.
सात प्रकार के बीजों से उठाया जाता है जावा- रवि खालको
सरना प्रार्थना सभा के अध्यक्ष रवि खालको ने बताया कि आदिवासी समाज में करम जावा का विशेष महत्व रहा है. लड़कियां इसे 7 दिन पहले उठाती हैं. इसमें कुंवारी लड़कियों का विशेष योगदान रहता है. लड़कियां उपवास करके सुबह नदी में जाकर नहाती हैं और वहां से बालू लेकर अखड़ा जाती हैं. बालू में सात प्रकार के बीजों (मकई, धान, सरसों, मड़ुवा, चना उरद और गेहूं) मिलाकर टोकरी में डालकर इसे पवित्र स्थल (पूजा घर) में सात दिनों तक रखती हैं और इसकी पूजा करती हैं. इस पर हल्दी पानी डालकर दीप-धूप दिखाती हैं. युवतियां सुबह-शाम एक साथ डलिया को आखड़ा या किसी आंगन में निकालती हैं और इसके इर्द-गिर्द गोल बनाकर जावा गीत गाती और नाचती हैं. इसे जावा जगाना कहते हैं. इसके बाद करमा के दिन इसी जावा से पूजा करती हैं. पूजा के बाद इसे एक-दूसरे के बालों में खोसती है और खुशियां मनाती हैं. करमा के दूसरे दिन करम डाल और जावा को नदी में विसर्जन कर दिया जाता है.