Ranchi : झारखंड पुलिस ने भाकपा माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी और चार माओवादियों को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया था. प्रशांत बोस सारंडा में आयोजित कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में शामिल होने जा रहे थे, इसी दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. डीजीपी नीरज सिन्हा ने प्रशांत बोस की गिरफ्तारी को ऐतिहासिक बताया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि प्रशांत बोस की गिरफ्तारी ऐतिहासिक है. पिछले 20 साल में माओवादियों को यह सबसे बड़ा झटका लगा है. कहा कि इस रैंक में न कोई पकड़ा गया था न मारा गया था. [caption id="attachment_184860" align="aligncenter" width="1280"]

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alt="" width="1280" height="576" /> प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डीजीपी नीरज सिन्हा[/caption] [caption id="attachment_184853" align="aligncenter" width="600"]

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alt="" width="600" height="400" /> शीला मरांडी[/caption]
भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता कोल्हान के लिए निकले थे
झारखंड पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसी को सूचना मिली थी, कि पारसनाथ पहाड़ी क्षेत्र से प्रशांत बोस सारंडा में कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में शामिल होने के लिए जा रहे हैं. कोल्हान क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है. वहां महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी है. जिसमें शामिल होने के लिए भाकपा माओवादी के कई सारे शीर्ष नेता कोल्हान पहुंचने के लिए निकले हुए हैं. मिली सूचना के आधार पर झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा धनबाद, बोकारो, रांची जमशेदपुर, सरायकेला और चाईबासा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था. इसी दौरान 12 नवंबर को सरायकेला जिले के कांड्रा थाना क्षेत्र स्थित गिद्दीबेडा टोल प्लाजा के पास संदेह के आधार पर पुलिस ने एक स्कॉर्पियो को रोका जिसमें चालक समेत छह लोग सवार थे. इसके बाद पुलिस को पता चला कि इनमें प्रशांत बोस ,उनकी पत्नी शीला मरांडी समेत चार अन्य नक्सली सवार हैं. पकड़े गये चार अन्य नक्सलियों में वीरेंद्र हंसदा, राजू टुडू, कृष्णा बाहंदा, गुरुचरण बोदरा शामिल हैं.
प्रशांत बोस के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए
झारखंड पुलिस ने प्रशांत बॉस और उनकी पत्नी शीला मरांडी के पास से 4 मोबाइल, दो एसएसडी एक पेन ड्राइव 1.51 लाख रुपये बरामद किये हैं. प्रशांत बोस के पास से बरामद हुए पेन ड्राइव और एसएसडी में नक्सली संगठन के कई दस्तावेज हैं, जो सरकार के खिलाफ और नक्सली संगठन के समर्थन में प्रचार संगठन के पत्र और अन्य दस्तावेज की सॉफ्ट कॉपी है. प्रशांत बोस के खिलाफ झारखंड के रांची खूंटी, गुमला,चाईबासा, सरायकेला, जमशेदपुर हजारीबाग, बोकारो और चक्रधरपुर रेल में 50 मामले दर्ज हैं. इसके अलावा प्रशांत बोस के खिलाफ बिहार, बंगाल और उड़ीसा में कई मामले दर्ज हैं, जिसे निकाला जा रहा है. प्रशांत बोस की पत्नी शीला मरांडी के ऊपर गिरिडीह और चाईबासा जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्र में कुल 18 मामले दर्ज हैं. इसके अलावा पकड़े गये चार अन्य नक्सलियों के खिलाफ कई जिले और राज्यों में मामले दर्ज हैं जिसके बारे में पता लगाया जा रहा है.
45 सालों से भाकपा माओवादी संगठन के लिए कार्य कर रहे हैं प्रशांत बोस
प्रशांत बोस 60 के दशक में पढ़ाई के दौरान कोलकाता में नक्सली संगठन के मजदूर यूनियन संगठन से जुड़े थे. जिससे प्रभावित होकर वे संगठन के लिए पूर्ण समर्पण से काम करने लगे. प्रशांत बोस ने एमसीसीआई के संस्थापक में से एक कन्हाई चटर्जी के साथ गिरिडीह ,धनबाद बोकारो और हजारीबाग के इलाके में स्थानीय जमींदारी प्रथा और महाजनों के द्वारा जनता के शोषण और प्रताड़ना के खिलाफ संथाली नेताओं के द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन का समर्थन किया. एमसीसीआई के बैनर तले आंदोलन को मुखर करने के लिए यह लोग इस इलाके में आये. इस दौरान रतिलाल मुर्मू के साथ मिलकर धनबाद, गिरिडीह और हजारीबाग के इलाकों में स्थानीय जमींदारों के द्वारा गठित सनलाइट सेना और महाजनों के खिलाफ एमसीसीआई के बैनर तले साल 2008 तक आंदोलन करते रहे. इस क्षेत्र के अलावा जमींदारों के द्वारा गठित बिहार के जहानाबाद, भोजपुर और गया के इलाके में सक्रिय रणवीर सेना और पुलिस के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए झारखंड के पलामू चतरा ,गुमला, लोहरदगा संथाल परगना और कोल्हान के क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन को मजबूत किया. इस दौरान बिहार झारखंड बंगाल और उड़ीसा राज्य में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया.
प्रशांत को 1974 में गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया था
साल 1974 में पुलिस द्वारा प्रशांत बोस को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया. साल 1978 में जेल से निकलने के बाद प्रशांत बोस दोबारा भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गये. पिछले 45 सालों से संगठन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे. साल 2004 में भाकपा माओवादी संगठन का गठन होने के बाद प्रशांत बोस केंद्रीय कमेटी सदस्य, पोलितब्यूरो सदस्य, केंद्रीय मिलिट्री कमीशन सदस्य और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रभारी बनाये गये. दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र के सारंडा में रहकर संगठन के कई शीर्ष नेताओं और दस्ता सदस्यों के साथ मिलकर झारखंड बिहार, उड़ीसा, बंगाल राज्य में भाकपा माओवादी संगठन को विस्तारित करते हुए कई बड़ी घटनाओं का अंजाम दिया. प्रशांत बोस ने झारखंड., बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्र में रहकर कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया. जिनमें सांसद सुनील महतो का हत्या भी शामिल है. प्रशांत बोस नक्सली संगठन के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव और थिंक टैंक के रूप में काम कर रहे थे. इन पर झारखंड सरकार द्वारा एक करोड़ का इनाम घोषित किया गया था. [wpse_comments_template]
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