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राष्ट्रपति ने जगदीप धनखड़ का इस्तीफा किया मंजूर, मोदी ने की उत्तम स्वास्थ्य की कामना, सत्ता पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

Lagatar Desk :   भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है. इसके बाद उनका इस्तीफा आगे की कार्यवाही के लिए गृह मंत्रालय को भेजा गया, जिसने संविधान के अनुच्छेद 67A के तहत उनके इस्तीफे की जानकारी तत्काल प्रभाव से जारी कर दी.

 

धनखड़ के इस्तीफे को लेकर जहां सत्ता पक्ष इसे स्वास्थ्य कारणों से लिया गया निर्णय बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे चौंकाने वाला और रहस्यमयी’ बताते हुए सवाल उठा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के इस्तीफे को लेकर एक्स पर प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने लिखा कि जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है.  मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं.

विपक्ष ने जताई आशंका, मांगा स्पष्टीकरण

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाला है. जिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है, इससे देश भर में चर्चा चल रही है.  हर कोई कह रहा है कि यह स्वास्थ्य के कारण नहीं हो सकता है. कोई और कारण हो सकता है, जो सामने नहीं आया है. इतिहास में पहली बार उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया है. राजस्थान के लोग सदमे में हैं, क्योंकि वह राजस्थान से हैं और संसद में किसानों के लिए आवाज उठाते रहे हैं.. मैंने हाल ही में कहा है कि उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला दबाव में काम कर रहे हैं.. 

 

झारखंड से जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा कि ये सबके लिए आश्चर्यजनक है. जब वे सदन में आए तो ऐसा नहीं लगा कि उनकी तबीयत इस्तीफा देने लायक खराब है. इसके पहले भी तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने केवल कुछ दिनों की छुट्टी ली फिर वे वापस आ गए. ये सत्र भी पूरा हो सकता था. उसके बाद वे इस्तीफा दे सकते थे. लेकिन पहले दिन आकर रात में इस्तीफा देना और दिन भर किसी को भनक तक ना लगने देना, इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं.

 

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया है. मुझे इस सरकार की कुछ चीजें जो बेहद परेशान करती है कि गैर पारदर्शिता इनकी पहचान बन गई है. कोई निर्णय क्यों होता है? कोई बीच कार्यकाल में अपना इस्तीफा देते हैं, ये पूरी सरकार पर प्रश्न है. अभी तक प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया दी है की नहीं ये भी चिंता का विषय है. हालांकि खबर लिखे जाने तक पीएम ने अपनी प्रतिक्रिया दे दी थी. 

 

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मैं उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करता हूं कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे. उन्होंने अचानक जिस तरह से इस्तीफा दिया तो ये चिंता की बात तो है ही और सब जगह अटकलें लग रही है. लेकिन मैं आग्रह करूंगा कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाए. उनका कार्यकाल अच्छा रहा है और वह किसानों के लिए हमेशा खड़े रहे हैं तो मैं राष्ट्रपति से मांग करता हूं कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाए. 

 

सत्तापक्ष ने विपक्ष को घेरा

भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा कि विपक्ष का काम है बोलना. किसी के स्वास्थ्य का भी मजाक उड़ा सकते हैं और उस पर भी राजनीति कर सकते हैं. इंसान को कब क्या हो जाए ये आप नहीं बता सकते हैं. उनको डॉक्टर ने कहा आराम करने को है तो अगर कोई आराम करना चाहता है तो उस पर भी ये राजनीति कर रहे हैं.. राजनीति का लेवल दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है.

 

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा चौंकाने वाला और आश्चर्यजनक है. उपराष्ट्रपति ने कल सदन की अध्यक्षता की और रात में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है. ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे.

 

भाजपा सांसद डॉ. भागवत किशनराव कराड ने कहा कि उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था और कुछ दिन पहले वह एम्स में भर्ती थे तो मैं समझ सकता हूं. अगर स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो यही कारण है उनके इस्तीफे की.

 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर का रुख इस मुद्दे पर अन्य विपक्षी नेताओं से अलग नजर आया. उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं की, बल्कि संवेदनशीलता दिखाते हुए केवल स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि धनखड़ के स्वास्थ्य को लेकर चिंतत हूं. ये बहुत दुखद है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है. मैं उनके जल्द ठीक होने की कामना करूंगा.

 

राजनीतिक हलकों में कयासों का दौर तेज

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब संसद का मानसून सत्र प्रारंभ हुआ ही है. राजनीतिक हलकों में कयासों का दौर तेज है कि कहीं इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक मतभेद या दबाव तो नहीं. विपक्ष का कहना है कि सिर्फ स्वास्थ्य को कारण बताना पर्याप्त नहीं, जबकि सत्ता पक्ष इसे मानवता और संवेदनशीलता से जोड़कर देख रहा है. 

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