Ranchi : जदयू के प्रदेश प्रवक्ता सागर कुमार ने कहा है कि मणिपुर में विगत दो माह से जातीय हिंसा और विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदेश में पुलिस दो धड़ों में विभाजित हो गयी है. राज्य प्रशासन और सुरक्षा बलों में कथित और ज्ञात पूर्वाग्रह कायम है. मणिपुर के नागरिक हर पल भय के वातावरण में जीने को मजबूर हैं. प्रदेश में व्यापार और अर्थव्यवस्था पूर्णतः नष्ट हो गयी है. प्रदेश जल रहा है और परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर है. ऐसे में प्रदेश में शांति बहाल करने के लिए राष्ट्रपति शासन ही अंतिम विकल्प है. उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना से मन मर्माहत है. जदयू घटना की तीव्र निंदा करता है. यह राष्ट्रीय शर्म की बात है. ऐसा प्रतीत होता है की भाजपा का बेटी बचाओ नारा नहीं चेतावनी थी.
मोदी सरकार के 9 साल में आदिवासियों पर बढ़ा अत्याचार
सागर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी शासन का नौ साल वाकई बेमिसाल है. वह इसलिए कि इन नौ वर्षों में देश में जनजाति समुदाय के साथ जितना अत्याचार हुआ, पूर्व में कभी नहीं हुआ. मध्यप्रदेश के सीधी में आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करना, मणिपुर में आदिवासी युवती को निर्वस्त्र कर घूमना, नए संसद भवन के उद्घाटन से महिला और आदिवासी राष्ट्रपति को दूर रखना, झारखंड में आदिवासी समूहों को जमीन दलाल की उपाधि देना और यहीं नहीं यूसीसी के माध्यम से उनके संवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने की मानसिकता इसके मजबूत साक्ष्य हैं.
मणिपुर का दौरा करने के बजाय पीएम कर रहे हैं विदेश दौरा
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में यह शायद पहली बार होगा कि एक प्रदेश की पुलिस दो धड़ों में विभाजित है. एक ही देश में दो राज्यों के बीच अपनी सीमाओं को लेकर हिंसक झड़प हो रही है, मगर देश के राजा मणिपुर के बजाय विदेशों का दौरा कर रहे हैं. विपक्षी एकता को कैसे कमजोर किया जाए, इस पर चिंता कर रहे. महाराष्ट्र में सरकार बना रहे.
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