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वृद्ध परहिया दंपति के समक्ष भुखमरी की स्थिती
मानदोहर में रहने वाले जगीया और हलकन परहिया निसंतान हैं. जगीया परहिया का बांया हाथ लकवा ग्रस्त हो चुका है. केवल दाहिने हाथ से ही वो काम करती हैं. पैसे के अभाव में जगीया का इलाज नहीं हो पाया. लकवा को वह अपनी नियती ही मान चुकी हैं. [caption id="attachment_181972" align="aligncenter" width="600"]alt="भुखमरी की कगार पर पहुंचा गढ़वा का आदिम जनजाति परिवार, सरकारी योजना का लाभ भी नहीं" width="600" height="400" /> जगीया परहिया मिर्च की चटनी पीसती हुई.[/caption] जबकि जगीया के पति हलकन परहिया को दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता है. सरकारी पेंशन का लाभ दोनों को ही नहीं मिलती है. जिससे सिर्फ चावल खाकर ही गुजारा करते हैं. दोनों का कहना है कि कई महीने बीत गये उन्होंने दाल और सब्जी नहीं खायी है. बताया कि सब्जी के बदले नमक और हरी मिर्च को पीस कर भात के साथ खाना पड़ता है. जगीया ने बताया कि किसी तरह जी रहे हैं.
राशन कार्ड है पर दो माह में मिला सिर्फ 10 किलो अनाज
भुखमरी की कगार पर पहुंचे बुजुर्ग दंपत्ति जगीया परहिया को सितंबर और अक्टूबर 2021 का राशन भी नहीं मिला है. लेकिन राशन उठाव की आहार पोर्टल पर राशनकार्ड नंबर 202000070292 चेक करते ही सितंबर माह का राशन 24/10/2021को ले लिया गया बताता है. सवाल ये है कि इस आदिम जनजाति परिवार का राशन आखिर किसने ले ली.कौन खा जा रहा दंपत्ति जगीया परहिया का राशन
बुजुर्ग दंपत्ति के राशन कार्ड में सितंबर और अक्टूबर माह का राशन उठाव दर्ज कर दिया गया है. लेकिन परिवार को डाकिया योजना से मिलने वाला 35 किलो की दर से दो माह का 70 किलो राशन नहीं मिला है. आखिर कौन खा जा रहा भुखमरी की कगार पर पहुंचे वृद्ध दंपति का राशन. जब परहिया दंपति से लगातार संवाददाता ने पूछा कि उज्ज्वला योजना के तहत गैस का चूल्हा मिला. जवाब में दंपति ने बताया कि हमलोगों को तो वृद्धा पेंशन भी नहीं मिलता. तो गैस का चूल्हा कहां से मिलेगा. जब चवाल रहता है, तब हम मिट्टी के चूल्हे पर ही खाना बनाते हैं. जगीया परहिया ने बताया कि मैंने गैस का चूल्हा नहीं देखा. जंगल से लकड़ी लाते हैं और उसी से खाना बनता है. इसमें बहुत धुंआ निकलता है. जिससे आंख की रोशनी भी कम हो गई है.आदिम जनजातियों के लिए चल रहा डाकिया योजना
आदिम जनजातियों की सुरक्षा, संरक्षण और मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना से जोड़ने के लिए ऐसे समुदायों के घर तक बंद बोरी में नि:शुल्क 35 किलोग्राम चावल पहुंचाने के लिए डाकिया योजना चलाई जा रही है. आदिम जनजाति आबादी को पूरी तरह से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए झारखंड सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है. लेकिन इसमें भी घोलमाल हो जा रहा है. इसे भी पढ़ें –हजारीबाग:">https://lagatar.in/hazaribagh-police-arrested-6-criminals-on-charges-of-sextortion/">हजारीबाग:पुलिस ने सेक्सटॉर्शन के आरोप में 6 अपराधकर्मियों को किया गिरफ्तार [wpse_comments_template]

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