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राज्यसभा में पेश हुआ जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर बिल, कई सांसदों ने जतायी आपत्ति

New Delhi : राज्यसभा में शुक्रवार को पॉपुलेशन रेगुलेशन बिल 2019 पर चर्चा हुई. राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा  ने जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया. जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि पर चिंता जताते हुए राज्यसभा में मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा ने कहा कि यदि आबादी को नियंत्रित नहीं किया गया, तो 30 साल बाद सम्मानजनक जीवन जीने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं रहेंगे. उन्होंने निजी विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, `जनसंख्या नियमन विधेयक` 2019 अत्यंत संवेदनशील विषय है और समय-समय पर सभी दलों ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए आबादी नियंत्रण के लिए निजी विधेयक सदन में पेश किये हैं.

आज दुनिया की 17 प्रतिशत से अधिक आबादी भारत में

राकेश सिन्हा ने कहा कि 1901 से लेकर 2011 तक हमारी आबादी 110 करोड़ बढ़ी है. उन्होंने कहा कि आज दुनिया की 17 प्रतिशत से अधिक आबादी भारत में है जबकि हमारे पास मात्र 4 प्रतिशत पानी और 2.4 प्रतिशत जमीन है.`उन्होंने कहा कि जिन संसाधनों के आधार पर हम सम्मानजनक जीवन जीने की कल्पना करते हैं और जीते हैं, उनके आधार पर हमें जनसंख्या के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1996 में जनसंख्या और संसाधनों को नापने के लिए `ग्लोबल हेक्टेयर` फार्मूला आया, जिसे दुनिया ने स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि यह फार्मूला जमीन और पानी को आबादी से जोड़ता था. इसे भी पढ़ें – झारखंड">https://lagatar.in/now-the-country-and-the-world-will-see-jharkhand-tourism-national-geographic-is-making-a-documentary-cm/">झारखंड

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यहां जनसंख्या का मुद्दा सांप्रदायिकता में भी उलझा

सिन्हा ने कहा, `आबादी नियंत्रित करने के लिए अलग अलग देशों में अलग अलग उपाय हुए. उन्होंने कहा कि भारत में भी उपाय किये गये, लेकिन हमारे यहां जनसंख्या का मुद्दा सांप्रदायिकता में भी उलझा. दुर्भाग्य की बात है कि इस पूरे विमर्श पर गहन विचार मंथन करने के बजाय इसको भटकाने का प्रयास किया गया, जबकि स्थिति को देखते हुए संकीर्णता से ऊपर उठना चाहिए.` सिन्हा ने कहा, `यह हमने नहीं देखा कि संसाधनों पर आबादी का कितना बोझ पड़ रहा है. आबादी नियंत्रित नहीं हुई तो 30 साल बाद सम्मानजनक जीवन जीने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं होंगे.`

परंपरागत सोच को बदलना होगा

उन्होंने कहा `हम जनसंख्या के मामले में `हम दो हमारे दो` की स्थिति में पहुंच रहे हैं. यह शुरुआत तो पहले हुए थी लेकिन तब यदि ज्यादती नहीं होती तो शायद जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून भी बन जाता. ` उन्होंने कहा कि परंपरागत सोच को बदलना होगा.

क्या हमारी आबादी और संसाधन का अनुपात संतोषजनक है

उन्होंने कहा `दक्षिण के कुछ राज्यों में जनसंख्या देश की औसत आबादी से कम है. देश के 174 जिले ऐसे हैं. लेकिन कुछ राज्यों में स्थिति अलग है.` राकेश सिन्हा ने कहा `जनसंख्या नियंत्रण समाज शास्त्र का विषय है, लेकिन यह जीवन के हर पहलू से जुड़ा है. इकोलॉजिकल फुट प्रिंट बढ़ रहा है, लेकिन संसाधन घट रहे हैं. ऐसे में हम आने वाली पीढ़ियों को क्या दे पाएंगे ? हमें सोचना होगा कि क्या हमारी आबादी और संसाधन का अनुपात संतोषजनक है. इसे भी पढ़ें –जनता">https://lagatar.in/spying-on-the-public-from-the-budget-of-the-public-long-live-the-democracy/">जनता

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सांसदों ने खड़े किये सवाल

कांग्रेस सांसद अमी याज्ञिक ने इस जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की पहल करने की नीयत पर सवाल खड़े किये. जनसंख्या विनियमन विधेयक पर केरल से निर्वाचित आईयूएमएल सांसद अब्दुल वहाब, कांग्रेस के कांग्रेस सांसद एल हनुमंत्य्या ने भी सवाल खड़े किये. इसके अलावा भाजपा सांसद विकास महात्मे ने कानून को जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि इस कानून का झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में प्रचारित कर लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया जाना चाहिए.

महिला सशक्तिकरण के लिए अहम

पॉपुलेशन रेगुलेशन को जरूरी बताते हुए भाजपा सांसद विकास महात्मे ने कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल जनसंख्या नियंत्रण का नहीं इसके रेगुलेशन का है. ऐसे में इसके लिए चरणबद्ध तरीके से प्रयास किये जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि कई पहलू ऐसे हैं जिन पर महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण के काम किया जाना चाहिए.

राजद सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के हलफनामे से घेरा

पॉपुलेशन रेगुलेशन के बिल पर राजद सांसद मनोज झा ने सांसद राकेश सिन्हा के बारे में शायरना अंदाज में कहा, इजहार-ए-मोहब्बत से पहले बदनाम नजर हो जाती है, मैं दिल में इरादा करता हूं, दुनिया को खबर हो जाती है.` उन्होंने बीजद सांसद अमर पटनायक के वक्तव्य का उल्लेख कर कहा, `डेवलपमेंट इज बेस्ट कॉन्ट्रासेप्टिव`. सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर, 2020 में दाखिल हलफनामे का जिक्र करते हुए मनोज झा ने कहा, केंद्र सरकार अदालत के समक्ष कह चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि निश्चित संख्या में बच्चों को पैदा करने का नियम काउंटर प्रोडक्टिव है और इससे डेमोग्राफिक डिस्टॉर्शन का खतरा पनपता है.

संविधान में संशोधन का बिल

बजट सत्र के पांचवें दिन राज्य सभा में एक और प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया. संविधान की प्रस्तावना में संशोधन के लिए राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाया गया. उपसभापति हरिवंश ने बजट सत्र के पांचवें दिन राज्य सभा में केजे अल्फोंस की ओर से पेश किए प्राइवेट मेंबर बिल पर सभापति के आसन, संविधान और कानूनी प्रावधानों को स्पष्ट किया. इसे भी पढ़ें –चुनावी">https://lagatar.in/election-affidavit-cm-yogi-is-now-a-millionaire-but-no-land-and-house/">चुनावी

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