रेल रोको आंदोलन में शामिल नेताओं पर कार्रवाई की मांग
Ranchi : झारखंड राज्य गठन के बाद से ही कुड़मी/कुरमी समाज द्वारा खुद को एसटी सूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है. लेकिन टीआरआई की 2004 की पहली शोध रिपोर्ट ने उनके दावे को आधारहीन बताया था. इससे पहले काका कालेकर कमेटी (1955) और लोकुर कमेटी (1965) ने भी तय मापदंडों के आधार पर इस मांग को खारिज कर दिया था.
संसद से लेकर झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा की विधानसभाओं तक यह प्रस्ताव कई बार ठुकराया जा चुका है. अब एक बार फिर 20 सितंबर को कुड़मी समाज ने रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है. एसटी सूची मांग के विरोध में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले प्रतिनिधिमंडल ने रांची रेल प्रबंधक और उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा है.
अध्यक्ष गीताश्री उरांव ने कहा कि पहले भी 2005 में इनका रेल रोको आंदोलन हुआ था, जिससे 5 दिनों तक ट्रेनों का परिचालन ठप रहा और लाखों यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी. इस बार भी रेल परिचालन बाधित होने से आम जनता को दिक्कत होगी.
प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से मांग की है कि आंदोलन करने वाले नेताओं पर कार्रवाई की जाए, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो. प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो आदिवासी समाज मजबूरन इस आंदोलन का कड़ा विरोध करेगा.
इस मौके पर गीताश्री उरांव, सुशील उरांव, डॉ बिरसा उरांव, पवन तिर्की, तेतरी उरांव, आकाश तिर्की, राहुल तिर्की, संदीप तिर्की, कालिका गाड़ी, अनुज हेमरोम, रविंद्र भगत समेत अन्य शामिल थे.
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