Palamu : पलामू प्रमंडल के मेदिनीगर में बुधवार को 7 जनजातीय आदिवासी समाज ने गोलबंद होकर विरोध प्रदर्शन किया. यह विरोध झारखंडी आदिवासी बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित हुआ.
रैली में पारंपरिक वेशभूषा में हजारों आदिवासी समुदाय का जनसैलाब उमड़ पड़ा. इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि कुडमी एसटी नहीं बन सकता है. ये समुदाय एसटी का अहर्ता पूरा नहीं करता है. इनके पास एसटी होने का कोई साक्ष्य नही है. इनके पास सभी दस्तावेज फर्जी है.
कुड़मी समुदाय आदिवासियों के धर्म, संस्कृति की कर रहे है नकल- ग्लैडसन
सामाजिक कार्यकार्ता ग्लैडसन ने कहा कि कुड़मी एसटी मांग के खिलाफ आज आदिवासी समुदाय एकजुट होकर अपना परिचय दे रहा है. सभी जिलों में संवैधानिक तरीके से विरोध हो रहा है. ये समुदाय सीएम पद पर काबिज होना चाहता है.
असंवैधानिक तरीके से राष्ट्रीय संपत्ति की नुकसान पहुंचा रहे है. कुड़मी समुदाय आदिवासी पुरखा, इतिहास, सभ्यता संस्कृतिक भाषा, वेशभूसा की नकल कर एसटी सूची में में शामिल होना चाहते है जो असंवैधानिक है. जिसे आदिवासी समुदाय बर्दाशत्त नहीं करेंगे. कुडमी, कुरमी समाज के पास किसी भी प्रकार का कोई प्रमाण नहीं है. यह 1965 की लोकुर समिति ने स्पष्ट किया है.
1910 में कुड़मी क्षत्रिय महासभा का गठन किया
जनजातीय मंत्रालय एंव टीआरआई / कलकत्ता हाईकोर्ट के रिपोर्ट ने कुडमी, कुरमी समाज एसटी सूची में शामिल नहीं किया. क्योंकि कुड़मी समुदाय रूढ़ि प्रथा सामाजिक व्यवस्था, भाषा संस्कृतिक आदिवासी समाज से मेल नहीं खाता है.
1938 के बिहार टाईबल गजट सूची में सूचीबद्ध नहीं है.1871 के ट्राईबल क्रिमीनल एक्ट से कुड़मी समाज अपने आप को 163 जनजातीय की सूची से अलग कर लिया है.1910 में कुरमी क्षत्रिय महासभा का गठन किया है. वे वर्ण व्यवस्था में अपने आप ढाल लिया है.
कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए- शशि
आदिवासी नेता शशि पन्ना ने कहा कि जनजातीय सूची में शामिल होने के लिए निर्धारित मानदंडों कुरमी, कुड़मी समाज के पास प्रमाण नहीं है. कुड़मी समाज एक संपन्न समाज में गिने जाते है. राजनीतिक पृष्ठ भूमि, शैक्षणिक पृष्ठ भूमि, समाजिक पृष्ठ भूमि में आदिवासी सामुदाय से अलग है. कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
मौके पर ग्लैडसन डुंगडुंग, केन्द्रीय सारना समिती अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी नेता शशि पन्ना, ज्योत्सना केरकेट्टा, गोविंद टोप्पो, शिव उरांव, जय प्रकाश मिंज, अजय सिंह चेरो, अवधेश सिह बेरो, त्रिपुरारी सिह बेरो, रघुपाल सिंह खरवार, दाउद केरकेटा, प्रवीण खरवार, मिथलेस उरांव, केदार सिंह बरवार, रामराज सिंह बेरो, सुमित उरांव, नागमणि रजक, रविपाल, अदित्य तिकीं, बंदु राम समेत अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किए.
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