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SIR पर लोकसभा और राज्यसभा में विरोध-प्रदर्शन जारी, विपक्ष संसद में चर्चा की मांग अड़ा

New Delhi :    बिहार में चल रहे मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद में सियासी घमासान जारी है. एक ओर विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि SIR के नाम पर चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप और वोटरों की पहचान से छेड़छाड़ की जा रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा इसे जरूरी और जायज ठहरा रही है.

 

विपक्षी दल SIR को लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं. सदन में इस पर चर्चा की मांग को लेकर हर दिन विपक्षी दल के सांसद संसद परिसर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. हर दिन की तरह आज भी सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विरोध-प्रदर्शन किया गया. 

 

तेजस्वी के पास दो वोटर ID हैं तो समर्थक के पास कितने होंगे

भाजपा सांसद संजय कुमार झा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जमीनी तौर पर बिहार में कोई मुद्दा नहीं है. जब विपक्ष के नेता (तेजस्वी यादव) के पास दो वोटर ID हैं, तो उनके समर्थकों के पास कितने होंगे. SIR इसलिए जरूरी है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे. 

 

 

यह SIR नहीं,  इंटेंसिव डिलीशन है : मनोज झा

राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि यह SIR नहीं, यह इंटेंसिव डिलीशन है. कोई वर्गीकरण नहीं, कोई EPIC नंबर नहीं... यह घोर अलोकतांत्रिक है.

 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जब वोट डालने का अधिकार छीना जा रहा है तो लोकतंत्र कहां बचा. सरकार उन अधिकारियों पर कार्रवाई करे जो वोटर लिस्ट के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

 

कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने चेतावनी देते हुए कहा कि विरोध तब तक चलेगा, जब तक सदन में इस पर चर्चा नहीं होती और चुनाव आयोग जवाब नहीं देता.

 

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार किस बात से डर रही है? वोट देने का अधिकार संविधान की मूल भावना है. चर्चा से भागना निंदनीय है.

 

कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने कहा कि भाजपा कुछ छिपा रही है, इसलिए चर्चा से भाग रही है.

 

सपा सांसद राम गोपाल यादव बोले कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है.

 

DMK सांसद कनिमोझी ने कहा कि हम SIR पर चर्चा चाहते हैं,  लेकिन हमें मौका नहीं दिया जा रहा. यह लोकतंत्र के लिए बेहद अहम विषय है. 

 


क्या है SIR विवाद?

बिहार में चल रहे मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत चुनाव आयोग सभी मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण कर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में चुनिंदा वर्गों को निशाना बनाकर उनके वोट काटे जा रहे हैं. जबकि सरकार और भाजपा का दावा है कि यह केवल मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिरहित करने की प्रक्रिया है. 

 

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