- 40% कंपनियां सुरक्षा उपायों में फेल
Lagatar Desk : भारत जितनी तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से क्वांटम कंप्यूटिंग आने वाले समय में देश के साइबर सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक बनकर उभर रही है. PwC ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में देश का संवेदनशील डेटा बड़े जोखिम में पड़ सकता है.
India needs urgent quantum-ready cybersecurity as organisations continue to lag: PwC
— ANI Digital (@ani_digital) November 18, 2025
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क्वांटम कंप्यूटिंग बना बड़ा खतरा
PwC की रिपोर्ट बताती है कि क्वांटम कंप्यूटिंग आने वाले समय में साइबर सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक बन सकती है. इसलिए क्वांटम-रेडी (Quantum-Resilient) सुरक्षा अपनाना अब विकल्प नहीं, बल्कि हर संगठन के लिए जरूरी है. खासतौर पर उन संगठनों के लिए जो बड़े पैमाने पर संवेदनशील डेटा संभालते हैं. रिपोर्ट कहती है कि साइबर सुरक्षा का भविष्य उन लोगों का होगा, जो आज से ही क्वांटम दुनिया के लिए तैयारियां शुरू कर देते हैं.
भारत के डिजिटल विकास ने जोखिम बढ़ाए
तेजी से बढ़ते डिजिटल ढांचे, क्लाउड अपनाने और AI-आधारित सिस्टमों के बढ़ते उपयोग ने डेटा की सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बना दिया है. PwC का कहना है कि कंपनियों को केवल खतरे समझने से आगे बढ़कर अब असल कदम उठाने की जरूरत है.
रिपोर्ट में संगठनों को क्वांटम-सुरक्षा को बोर्ड-लेवल एजेंडे में शामिल करने, क्वांटम जोखिमों को समझने के लिए आंतरिक विशेषज्ञता विकसित करने, सिस्टम बदलने के लिए मल्टी-ईयर रोडमैप तैयार करने और क्वांटम-प्रतिरोधी (Quantum-Resistant) क्रिप्टोग्राफी अपनाने की प्रक्रिया शुरू करने की सलाह दी गई है.
कंपनियां तैयारी में अब भी पीछे
रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. रिपोर्ट बताती है कि 40% भारतीय संगठन अभी तक क्वांटम-सुरक्षा उपाय लागू नहीं कर पाए हैं. वहीं केवल 5% सुरक्षा प्रमुखों ने अगले साल के लिए अपने बजट में क्वांटम तैयारी को प्राथमिकता दी है. यानी खतरा बढ़ रहा है, लेकिन तैयारी बहुत धीमी है.
AI साइबर सुरक्षा का भविष्य बदल रहा है
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में AI अब साइबर सुरक्षा निवेश का सबसे बड़ा क्षेत्र बन गया है. कंपनियां अब एनालिटिकल एआई से आगे बढ़कर एजेंटिक एआई अपना रही हैं. यह ऐसे सिस्टम हैं, जो खुद फैसले लेते हैं और कम मानव दखल के साथ काम करते हैं.
AI का उपयोग इन क्षेत्रों में बढ़ रहा है
- - क्लाउड सुरक्षा
- - डेटा सुरक्षा
- - साइबर सुरक्षा ऑपरेशन
- - खतरे का पता लगाने की क्षमता
AI से अपेक्षा है कि यह प्रतिक्रिया समय कम करेगा और सुरक्षा सिस्टमों को तेज और अधिक सक्षम बनाएगा. हालांकि DevSecOps और IAM जैसे जोखिम वाले क्षेत्रों में अब भी सावधानी बरती जा रही है, क्योंकि छोटी-सी गलती भी बड़े सुरक्षा संकट का कारण बन सकती है.
DPDP अधिनियम से कंपनियों में बदलाव
भारत का नया DPDP Act (डेटा संरक्षण अधिनियम) कंपनियों को डेटा प्रबंधन और गोपनीयता के बेहतर मानक अपनाने के लिए प्रेरित करेगा. कंपनियों को अब डेटा कम से कम रखने, अधिक सटीक रखने और जिम्मेदार AI का उपयोग करने पर जोर देना होगा.
PwC की सलाह
रिपोर्ट संगठनों से अपील करती है कि वे AI-आधारित खतरे की पहचान को प्राथमिकता दें, एजेंटिक एआई तकनीक अपनाने की गति बढ़ाएं, जिम्मेदार AI सिद्धांतों का पालन करें, पूरे संगठन में मजबूत डेटा प्रशासन लागू करें और भविष्य के जोखिमों से निपटने के लिए AI आधारित साइबर सुरक्षा प्रतिभा विकसित करें.

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