Ranchi: झारखंड समेत पूरे देश में शैक्षणिक डिग्रियों को लेकर हमेशा सवाल होते रहे हैं और इस बार राजकीय धनबाद पॉलिटेक्निक के प्रभारी प्राचार्य बिनोद प्रसाद सिन्हा की डिग्री पर एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सवाल उठाये हैं. बिनोद प्रसाद सिन्हा की नियुक्ति वर्ष 1987 में लेक्चरर के पद पर हुई थी जिसके बाद वर्ष 1994 में एचओडी मेकेनिकल पद पर निकले विज्ञापन पर उन्होंने अप्लाई किया था.
पूर्व कंसल्टेंट उच्च शिक्षा किमी प्रसाद के मुताबिक विज्ञापन में कई शर्तें थी की इस पद के लिए 5 वर्ष का अनुभव अनिवार्य था लेकिन उसके बावजूद बिनोद प्रसाद सिन्हा का चयन हो गया और सबसे हैरत की बात ये है की बिनोद प्रसाद सिन्हा की एमटेक की डिग्री 1995 की है यानि उनके चयन के एक वर्ष बाद उन्हें डिग्री मिली और उसी डिग्री के आधार पर वे अब तक कार्यरत हैं.
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फिलहाल सिन्हा जिस पद पर हैं उसके लिए पीएचडी की योग्यता अनिवार्य है लेकिन उसके बावजूद उन्हें वर्ष 2015 से राजकीय धनबाद पॉलिटेक्निक के प्रभारी प्राचार्य का जिम्मा दिया गया है जो दर्शाता है की इनपर विभाग भी काफी मेहरबान है.
बिनोद प्रसाद सिन्हा पर वर्ष 2014 से वर्ष 2015 तक एसबीटीई के सचिव पद रहने के दौरान लगभग 1 करोड़ 80 लाख से ज्यादा की राशि की अनियमितता का भी गंभीर आरोप लग चुका है. इस प्रकरण में विभाग के द्वारा इनके खिलाफ प्रपत्र भी गठित किया गया था. इस पूरे मामले पर जब हमने बिनोद प्रसाद सिन्हा से उनका पक्ष लिया तो उनका कहना था की अगर उनकी डिग्री विवादास्पद है और उन्होंने किसी तरह की वित्तीय अनियमितता की है तो सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे.
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