NewDelhi : पूर्व CJI रंजन गोगोई को किस अधिकार, योग्यता के कारण राज्यसभा के लिए नामित किया गया है. गोगोई को सांसद पद से हटा दिया जाना चाहिए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में भारत के पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की राज्यसभा में नियुक्ति को चुनौती देते हुए यह बात कही गयी है. राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध बायोडाटा पर नजर डालते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि गोगोई ने न तो कोई किताब लिखी है और न ही उनके नाम से कोई किताब प्रकाशित है. यहां तक कि वह किसी भी सामाजिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक या सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं.
इस कारण उनकी योग्यता पर सवाल उठाते हुए SC में याचिका दायर की गयी है. जान लें कि श्री गोगोई को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के चार महीने बाद मार्च 2020 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किया गया था.
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संवैधानिक विशेषज्ञों ने निर्णय की आलोचना की थी
रंजन गोगोई के नामांकन के समय, कई संवैधानिक विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों ने निर्णय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संवैधानिक पृथक्करण को धुंधला किया जा रहा है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सतीश एस काम्बिये द्वारा दायर याचिका में पूछा गया है कि वेबसाइट पर साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के प्रति उनके विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है.
इन तथ्यों के आझार पर याचिका में कहा गया है, गोगोई को नामित करने वाली सरकारी अधिसूचना- संविधान के अनुच्छेद 80 (1) (ए) के साथ (3) के तहत – इन खंडों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है. मालूम हो कि रंजन गोगोई की नियुक्ति के तुरंत बाद, कार्यकर्ता मधु किश्वर ने एक जनहित याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि गोगोई की नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करती है.
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