का दिन ऐतिहासिक, सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार एक साथ नौ जज लेंगे शपथ
संवैधानिक विशेषज्ञों ने निर्णय की आलोचना की थी
रंजन गोगोई के नामांकन के समय, कई संवैधानिक विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों ने निर्णय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के संवैधानिक पृथक्करण को धुंधला किया जा रहा है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सतीश एस काम्बिये द्वारा दायर याचिका में पूछा गया है कि वेबसाइट पर साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के प्रति उनके विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. इन तथ्यों के आझार पर याचिका में कहा गया है, गोगोई को नामित करने वाली सरकारी अधिसूचना- संविधान के अनुच्छेद 80 (1) (ए) के साथ (3) के तहत – इन खंडों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है. मालूम हो कि रंजन गोगोई की नियुक्ति के तुरंत बाद, कार्यकर्ता मधु किश्वर ने एक जनहित याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि गोगोई की नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करती है. इसे भी पढ़ें : 20">https://lagatar.in/americas-withdrawal-after-20-years-of-fighting-taliban-capture-kabul-airport-firing-in-celebration/">20साल की लड़ाई के बाद हो गयी अमेरिका की वापसी, काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान का कब्जा, जश्न में फायरिंग [wpse_comments_template]
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