- सेंट्रल जेल में छापेमारी के पहले छिपा दिए जाते हैं मोबाइल
- प्रशासन के पहुंचने के पहले ही बंदियों को कर दिया जाता है अलर्ट
Hazaribagh : हजारीबाग के जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में खूंखार खतरनाक अपराधी बंद हैं. ऐसे में कड़ी सुरक्षा होने के बावजूद मोबाइल फोन जेल के अंदर पहुंच रहा है. यानी जेल में पैसे फेंको, सुविधाएं भोगो. जब भी पुलिस- प्रशासन के अधिकारी छापेमारी करते हैं, तो उनके हाथ कुछ भी नहीं लगता है. पिछले कुछ माह से ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. एक सप्ताह पहले भी जेल में छापेमारी की गयी थी, लेकिन कोई आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हो सका था. जेल प्रशासन के जिम्मेवारों की मिलीभगत से जेलकर्मी कैदियों को मोबाइल की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही साथ उनकी मनचाही वस्तुएं पहुंचा देते हैं. लेकिन यह सब लेन-देन पर ही निर्भर करता है. जेल में बंद रसूखदार कैदी अपनी सुविधा की चीजें उपलब्ध कराने के लिए जेल अधीक्षक को सेट किए रहते हैं और जेलकर्मी कैदियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने में तत्पर रहते हैं. जेलकर्मियों को इसके लिए मोटी रकम दी जाती है. लीक हो जाया करती रही है छापेमारी की सूचना
सेंट्रल जेल में पुलिस-प्रशासन की टीम की छापेमारी के पहले सूचना लीक हो जाती है. आनन-फानन में जेलकर्मी पहले मोबाइल छिपा देते हैं. हाल ही में जेल से छूटे कटकमदाग के एक बंदी का कहना है कि जिला प्रशासन की छापेमारी के पहले ही जेल प्रशासन की ओर से बंदियों को अलर्ट कर दिया जाता है. उसके बाद अपने-अपने गोपनीय ठिकानों पर बंदी इस्तेमाल कर रहे मोबाइल को छिपा देते हैं. उस ठिकाने की जानकारी जेल प्रशासन के अधिकारियों और कर्मियों को तो होती है, लेकिन वे छापेमारी के दौरान खामोश रहते हैं. यह भी बताया कि जेल में ही टू जी मोबाइल बंदियों को उपलब्ध कराया जाता है. बंदियों के पास खुद का सीम होता है और बात खत्म हो जाने के बाद सीम अपने पास रख लेते हैं और मोबाइल लौटा देते हैं. छापेमारी के दौरान बंदी मुंह में छिपाकर सीम रख लेते हैं, इस वजह से भी पुलिस- प्रशासन टीम के हाथ कुछ नहीं लगता है.
डीसी की छापेमारी की सूचना लीक न हो सकी थी, मिले थे कई आपत्तिजनक सामान
कुछ माह पूर्व डीसी के नेतृत्व में जेल में छापेमारी हुई थी. उस वक्त सूचना लीक नहीं हो पायी थी, तो कई आपत्तिजनक सामान बरामद हुए थे. उसमें लैपटॉप, कैमरे और मोबाइल के पार्ट्स और सीम कार्ड बरामद हुए थे. जिला प्रशासन ने तब अतिगोपनीय तरीके से जेल में ऐसी छापेमारी की थी कि जेल के अंदर किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला था. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जेल के अंदर जेलर- जेल अधीक्षक व कर्मियों की मर्जी के बिना मोबाइल या अन्य आपत्तिजनक सामान पहुंच कैसे रहा है.. कई बार तंबाकू, गांजा, खैनी जैसे नशीले पदार्थ भी छापेमारी में मिलते रहे हैं. [wpse_comments_template]
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