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पोषण सखियों की कोशिशों से कुपोषण की दर में आयी कमी
रघुवर दास ने कहा कि पोषण सखियों के प्रयास से ही कुपोषण की दर में कमी दर्ज की गई. पिछले साल नवंबर में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के नतीजों ने इस पर मुहर भी लगाई थी. इसमें बताया गया था कि 2015-16 में जहां झारखंड में 45.3 प्रतिशत गंभीर कुपोषित बच्चे थे, वहीं 2020-21 में उनकी संख्या घटकर 39.6 प्रतिशत हो गई. इसी तरह कुपोषित बच्चों की संख्या भी 29 फीसदी से घटकर 22.4 प्रतिशत हो गई.कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूती देने की जरूरत
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि राज्य में कार्यरत 10,388 पोषण सखियों की सेवा समाप्त न की जाए. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने मलेरिया की रोकथाम के लिए कार्य कर रहे 2200 एमपीडब्ल्यू वर्कर्स की सेवा को ऐसी ही परिस्थितियों में जारी रखा था. उसी तर्ज पर पोषण सखियों की बहाली भी सरकार जारी रखे. इसे राज्य सरकार के संसाधनों से जारी रखते हुए कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को और मजबूती देने की जरूरत है. इसे भी पढ़ें – केके">https://lagatar.in/kk-verma-re-appointed-as-director-of-jbvnl/">केकेवर्मा फिर बनाये गये JBVNL के डायरेक्टर [wpse_comments_template]

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