New Delhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में संविधान की प्रस्तावना से 1976 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा जोड़े गये समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की वकालत की. उनके बयान के बाद देश की राजनीति में उबाल आ गया है.
RSS का नक़ाब फिर से उतर गया।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 27, 2025
संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है।
RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका…
होसबाले के बयान पर विपक्ष आरएसएस और भाजपा पर हमलावर हो गया है. विपक्षी नेताओं की कतार में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी शामिल हो गये हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए.
मामला यह है कि गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि 1976 में आपातकाल के दौरान समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को जबरन संविधान में जोड़ा गया. अब समय आ गया है कि इन् शब्दों को हटाया जाये. होसबाले ने कहा कि 42वें संशोधन के जरिए जोड़े गये समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द कृत्रिम हैं और उन्हें संविधान से हटाना जाना चाहिए.
इस पर हमलावर होते हुए राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, लिखा, आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया. संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है. आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए. ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं.
राहुल गांधी ने लिखा कि संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है. उन्होंने लिखा कि आरएसएस ये सपना देखना बंद करे. हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे. हर देशभक्त भारतीय आख़िरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा.