सांसद संजय सेठ और अन्य जनप्रतिनिधि जोर-शोर से उठाएंगे मामला
Ranchi : झारखंड में रेलवे का विकास कार्य ठप पड़ गया है. इस राज्य में रेलवे का जोनल कार्यालय नहीं होने का खामियाजा इस वर्षों से उठाना पड़ रहा है. हजारों करोड़ की योजनाएं पूरी नहीं हो रही. रेलवे की तस्वीर बदलनेवाली 20-20 साल की पुरानी परियोजनाएं पीछे चल रही हैं. हाजीपुर और कोलकाता के बड़े अधिकारियों के रहमोकरम पर यह परियोजनाएं रेंग रही हैं.
जोनल कार्यालय की मांग भी दबती नजर आ रही है
इधर पिछले एक साल से कोरोना संक्रमण के कारण जोनल कार्यालय की मांग भी दबती नजर आ रही है. यह भी रेल विकास के धीमी होने का बढ़ा कारण है. लेकिन इस संक्रमण के कमजोर पड़ते ही यह मांग तूल पकड़नेवाली है.
रेलवे को राजस्व देने में झारखंड अव्वल है
संक्रमण के कारण महीनों से जन-प्रतिनिधिनियों ने यह मांग नहीं उठाया हैं. जिससे यहां का विकास कार्य प्रभावित हैं. रेलवे को राजस्व देने में झारखंड अव्वल है. यहां से 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व हर साल रेलवे को मिलता है. अकेले धनबाद की हिस्सेदारी मुंबई के बाद सर्वाधिक है.
रांची सांसद संजय सेठ संसद से लेकर रेलवे बोर्ड तक यह मांग उठा चुके
राज्य के पूर्व मुख्य मंत्रियों से लेकर यहां के अधिकांश सांसद इस मांग को जोर-शोर से उठा चुके हैं. पहली बार रांची सांसद संजय सेठ लगातार संसद से लेकर रेलवे बोर्ड तक यह मांग उठा चुके हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल से भी कई बार इसे देने का आग्रह कर चुके हैं. लेकिन बंगाल चुनाव के कारण मामला दब गया था. उनके साथ सांसद महेश पोद्दार, विद्युतवरण महतो और अन्य जनप्रतिनिधि इस मांग को बुलंद कर चुके हैं.
झारखंड रेलवे का नियंत्रण हाजीपुर और कोलकाता है
झारखंड रेलवे का नियंत्रण हाजीपुर और कोलकाता है. आपदा और दुर्घटनाओं के समय यहां के अधिकारियों की परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे मामलों में मुख्यालय ही नीतिगत निर्णय ले सकता है. यहां के अधिकारियों को निर्देश का इंतजार रहता है. तभी वह आगे की कार्रवाई कर सकते हैं. विलंब से कामकाज में बाधा होती है. आम बजट में झारखंड की आवंटित राशि के लिए भी हाजीपुर और कोलकाता जोन पर निर्भर रहना पड़ता है. रेल विकास योजनाओं पर रांची के रेल अधिकारी कुछ भी नहीं कह सकते. ऐसी स्थिति होने पर तुरंत कोलकाता और हाजीपुर के अधिकारियों का नाम बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं. इसलिए भी यहां जोनल कार्यालय का होना जरूरी है.
जनप्रतिनिधियों के साथ बनायी जायेगी रणनीति
सांसद संजय सेठ रांची में अलग जोन बनाने को लेकर सबसे मुखर हैं. लेकिन अभी यह मांग दब गई है. इस मामले पर संपर्क करने पर उन्होंने साफ कहा कि अभी कोविड-19 संक्रमण का दौर है. उनका ध्यान अभी इसी पर केंद्रित है. वह अस्पताल में मरीजों और उनकी व्यवस्था को देखने में लगे हैं. वह कहते है कि इसका मतलब यह नहीं कि रांची में अलग पूरे झारखंड के लिए रेलवे जोनल कार्यालय की मांग को भूला दिया गया है. इस मांग के लिए जल्द ही अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ रणनीति बनायी जाएगी और मांग बुलंद की जाएगी.
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