Ranchi : आदिवासी कुड़मी समाज ने 20 सितंबर को रेल टेका आंदोलन करने का निर्णय लिया है. मंगलवार को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में समाज के रतन सत्यार्थी, पप्पु महतो, बबलु महतो, संतोष महतो, विकास कुमार और जयकिशोर महतो ने कहा कि यह आंदोलन कुड़मी समाज की अस्मिता, अधिकार और अस्तित्व की लड़ाई है. संवैधानिक अधिकार की लड़ाई है. क्योकिं कुड़मी आदिवासी थे और आदिवासी रहेंगे.
पप्पु महतो ने कहा कि कुड़मी मूल रूप से आदिवासी थे, लेकिन आजादी के बाद कॉरपोरेट और सत्ता के षड्यंत्र के तहत समुदाय को बाहर कर दिया गया. जब कुड़मी समाज जागरूक हुआ, तब उसने अपने हक की आवाज बुलंद कर रहा है. उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज की खास संस्कृति, 81 टोटम, 12 माह के 13 पर्व और समृद्ध इतिहास इसकी पहचान है.
टीआरआई गलत तैयार किया है दस्तावेज
लोगो ने कहा कि कुड़मी समुदाय पर टीआरआई ने गलत दस्तावेज तैयार किया है,जो कुड़मि समुदाय को एसटी सूची से बाहर कर दिया है. दस्तावेज तैयार करने से पहले कुड़मी मुहल्ला में छह महीने रहना पड़ता है. लेकिन इन्होंने बैठे-बैठे दस्तावेज बनाया है. उनकी जीवन शैली, पूजा पद्धति, संस्कार को जानने के लिए कुड़मी समुदाय के मुहल्ला और टोला में रहना पड़ता है.
रेल टेका आंदोलन ही क्यों सवाल
रेल टेका आंदोलन पर इन्होंने जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार और केद्र सरकार तक आवाज को पहुंचाना है. यही दोनों स्थानों से कुड़मी को एसटी में शामिल करने की मांग को सुनेगें और सूची बद्ध करेंगे.
तीन प्रमुख मांगों को लेकर बुलाया है रेल टेका आंदोलन
- कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल किया जाए.
-कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता मिले.
- पेसा कानून में संशोधन कर समुदाय को उसके पुराने अधिकार वापस दिए जाएं.
Leave a Comment