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2.5 लाख करोड़ खर्च करने के बावजूद रेल परिवहन व्यवस्था नहीं सुधरी: कैग की रिपोर्ट

NewDelhi : देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट कहती है कि रेलवे ने वित्त वर्ष 2008 से 2019 के दौरान 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया. इसके बावजूद रेलवे की परिवहन व्यवस्था के परिणाम में सुधार नहीं आया. बता दें कि कैग ने संसद में बुधवार को पेश रिपोर्ट में यह बात कही है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रेलवे की मिशन रफ्तार योजना भी ट्रेनों की गति बढ़ाने में असफल रही. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेलवे ने ट्रैक को बेहतर बनाने के इरादे से संबंधित बुनियादी ढांचे में 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है. लेकिन इसके बावजूद परिणाम लगभग सिफर रहा. जान लें कि वित्त वर्ष 2016-17 में मिशन रफ्तार शुरू किया गया है.. इसे भी पढ़ें : अद्भुत…सूरज">https://lagatar.in/amazing-20-thousand-km-deep-2-lakh-km-long-valley-of-fire-formed-on-the-sun-the-effect-will-be-seen-on-the-earth-on-7th-and-8th-april/">अद्भुत…सूरज

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478 सुपरफास्ट ट्रेनों में 123  की गति निर्धारित 55 किलोमीटर प्रति घंटे से भी कम थी

मिशन के तहत 2021-22 तक मेल/एक्सप्रेस की औसत गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा और मालगाड़ियों की 75 किलोमीटर प्रति घंटा करने का लक्ष्य था. लेकिन मेल/एक्सप्रेस और मालगाड़ियों की औसत गति 2019-20 में क्रमश: 50.6 किलोमीटर प्रति घंटा और 23.6 किलोमीटर प्रति घंटा ही आंकी गयी. इस क्रम में कहा गय कि 478 सुपरफास्ट ट्रेनों में 123 यानी 26 प्रतिशत की गति निर्धारित 55 किलोमीटर प्रति घंटे से भी कम थी. कैग ने यह भी कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) विश्व बैंक के कोष का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर सकी. इसके परिणामस्वरूप 16 करोड़ रुपये के प्रतिबद्धता शुल्क का भुगतान किया गया जिससे बचा जा सकता था.   [wpse_comments_template]

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