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रांची में सिर्फ 20 फीसदी घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग

Kaushal Anand Ranchi: इस बार रांची सहित पूरे झारखंड में भीषण गर्मी पड़ी. इसको लेकर पानी का भी संकट उत्पन्न हो गया. हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल होने वाली मौसमी और मॉनसून पूर्व बारिश नहीं हुई. इसके कारण सरकारी एवं निजी बोरिंग फेल हो गईं. आम तो आम, रिहायशी इलाके के लोगों के समक्ष भी पानी का संकट उत्पन्न हो गया. इसका मुख्य कारण ग्राउंड वाटर का अंधाधुंध दोहन और रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं करना है. अगर जल संसाधन के आंकड़ों पर विश्वास करें तो पूरे झारखंड के शहरी इलाकों में मात्र 20 फीसदी ही एरिया में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो रही है. इससे हालत और बद से बदत्तर होती जा रही है. अगर इस गर्मी के बाद हम और हमारी सरकार नहीं चेते, तो निश्चित ही आने वाले वर्षों में पानी को लेकर हालात बहुत गंभीर हो सकते हैं.

शहरी रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े फैक्ट

-जल संसाधन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी पूरे झारखंड के सिर्फ शहरी इलाके में 20 प्रतिशत रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो रही है. -अगर शहरी इलाके में यह आंकड़ा 98 प्रतिशत पहुंच जाए तो 354 अरब लीटर पानी बचाया जा सकता है. जो हमारी शहरी जरूरतों को पूरा कर सकता है. -झारखंड की आबादी 3.19 करोड़ है. एक आदमी को एक दिन में 135 लीटर पानी की जरूरत होती है. इस हिसाब से सालभर में राज्य को 1570 अरब लीटर पानी चाहिए. - 24 प्रतिशत शहरी आबादी में 20 प्रतिशत मकानों में हार्वेस्टिंग के अनुसार लगभग 2.40 लाख घरों में ही ये सिस्टम है. -अनुमान के अनुसार 100 वर्ग मीटर छत वाले घर से 3 लाख लीटर पानी प्रति वर्ष हार्वेस्टिंग से बचाया जा सकता है. -ऐसे में 2.40 लाख घरों से 72 अरब लीटर पानी बच रहा है. तब शहरी आबादी को 354 अरब लीटर पानी चाहिए. जो कि 98 प्रतिशत घरों में हार्वेस्टिंग से आपूर्ति हो सकती है. -अगर सभी 100 प्रतिशत शहरी घरों में हार्वेस्टिग हो जाए, तो जरूरत के बाद भी 6 अरब लीटर पानी बच जाएगा. सिर्फ और सिर्फ शहरी जरूरतें हार्वेस्टिंग से ही पूरी हो जाएंगी.

ऐसे समझें ग्राउंड वाटर की स्थिति और इसके कारण उत्पन्न जलसंकट

-भू-गर्भ जल को लेकर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट बहुत ही चिंताजनक है. बोर्ड से मिले आंकड़े के अनुसार वर्ष 2020 की तुलना में ग्राउंड पानी की निकासी 2.22 प्रतिशत बढ़ी है. वर्ष 2020 में ग्राउंड वाटर की निकासी जहां 29.13 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़ कर 31.35 प्रतिशत तक हो गई है. -पूरे राज्य के ग्राउंड वाटर लेबल को चार श्रेणी में विभक्त किया जाता है. जिसमें क्रिटिकल, सेमी क्रिटकल, ओवर एक्सपॉयलेटेड, सेफ जोन. -राज्य को 623 यूनिट (260 प्रखंड) में बांट कर ग्राउंड वाटर का स्थिति का आकलन किया गया. -जिसमें बेरमो, बलियापुर, गोलमुरी, जमशेदपुर शहरी, चितरपुर में सबसे अधिक ग्राउंड वाटर का दोहन हो रहा है. -छह यूनिट तोपचांची, धनबाद शहरी, जयनगर, रामगढ़ सिल्ली, रांची शहरी में ग्राउड वाटर की स्थिति चिंताजनक है. -लोहरदगा का कैरो, सरवन, सोनार अइठाडीह, गोविंदपुर, धनबाद, भवनाथपुर, गिरिडीह, दारू, कोडरमा, खलारी, ओरमांझी में भू-जल की स्थिति चिंताजनक (सेमी क्रिटकल) है. -झारखंड में सबसे अधिक ग्राउंड वाटर का दोहन धनबाद और कोडरमा हुआ. धनबाद में जहां 75 प्रतिशत तो कोडरमा में 66.10 प्रतिशत तक दोहन हुआ है. -पश्चिमी सिंहभूम की स्थिति काफी अच्छी है. यहां पर मात्र 9.93 प्रतिशत ही ग्राउंड वाटर का दोहन हुआ है. -ओवर ऑल पूरे राज्य में ग्राउंड वाटर का दोहन 1.78 बिलियन क्यूबिक मीटर हो रहा है. -सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के अनुसार 260 प्रखंड में 245 प्रखंड फिलहाल सेफ जोन में हैं. जबकि 12 प्रखंडों में बेरमो, धनबाद, तोपचांची, गोलमुरी को ओवर एक्सपॉयलेटड श्रेणी में रखा गया है. -धनबाद के बलियापुर, रांची के सिल्ली को क्रिटकल श्रेणी में रखा गया है. यानी इन क्षेत्रों में 90 से 100 प्रतिशत तक ग्राउंड वाटर का दोहन किया जा रहा है. -सेमी क्रिटकल में चास, सोनारायठारी, धनबाद, झरिया, गढ़वा का भवनाथपुर, हजारीबाग का दारू, चित्तरपुर, मांडू, रामगढ़, कांके, खलारी आदि.

भूगर्भ जल निदेशालय के अनुसार किस जिले में कितना नीचे गया जल स्तर (मीटर में)

जिला -                               2021-2023 रांची                                   13.4-15.09 सिमडेगा                              10.6-10.02 गुमला                                  11.2-11.00 पलामू                                  13.8-15.07 लोहरदगा                             11.7-11.09 हजारीबाग                             12.3-14.07 चतरा                                    14.6-15.01 गिरिडीह                                14.9-16.10 सिंहभूम                                13.8-13.09 बोकारो                                 12.1-15.00 धनबाद                                  15.7-19.08 दुमका                                  11.8-12.10 जामताड़ा                              12.5-14.00 देवघर                                  13.01-13.10 पाकुड़                                 14.6-16.08 गोड्डा                                    17.5-18.00 [wpse_comments_template]  

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