Ranchi : झारखंड विधानसभा के स्पीकर रविंद्रनाथ महतो ने राजभवन पर सवाल उठाया है. जेएमएम के एक कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा गया, लेकिन राजभवन से बिल को लौटा दिया गया. 1932 खतियान को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा, वो भी लोटा दिया गया. राजभवन भी भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है. बाद में उन्होंने अपने भाषण को अपने ट्वीटर हैंडल पर भी डाला.
विधान सभा मे विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधान सभा से पारित कर राजभवन को भेजा लेकिन राजभवन से बिल को लौटाया गया। 1932 का खतियान को विधान सभा से पारित कर राजभवन को भेजा , जो वो भी लोटा दिया गया। राज्य भवन भी भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। pic.twitter.com/6nz5oE3eqk
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— Rabindra Nath Mahato। Speaker - Jharkhand Assembly (@Rabindranathji) June">https://twitter.com/Rabindranathji/status/1672951524774002690?ref_src=twsrc%5Etfw">June
25, 2023
सरना आदिवासी धर्म कोड बिल का मामला
बता दें कि 11 नवंबर 2000 को झारखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरना आदिवासी धर्म कोड बिल पारित कराया था. उसे राजभवन की सहमति लिए बिना केंद्र सरकार को भेज दिया गया. राजभवन को सिर्फ इसकी औपचारिक सूचना दी गयी. अमूमन ऐसा नहीं होता है और इसमें बिल के पास होने में अड़चनें आती हैं.
1932 के खतियान का मामला
इसके बाद जनवरी 2023 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति के बिल को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया गया था. उन्होंने झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा, सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों को स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक को वापस भेजा था.
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