Ahmedabad : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज मंगलवार को गुजरात के सडली गांव में आयोजित यूनिटी मार्च कार्यक्रम में शामिल हुए, उन्होंने यहां दावा कि सरदार पटेल ने कभी तुष्टिकरण की राजनीति नहीं की. रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकारी पैसों से अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराना चाहते थे, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल के कारण ऐसा हो नहीं सका.
राजनाथ सिंह के अनुसार श्री नेहरू ने सार्वजनिक धन से बाबरी मस्जिद बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन पटेल ने इससे इनकार कर दिया. कहा कि सरदार पटेल के निधन के बाद जवाहरलाल नेहरू का सुझाव था कि उनके स्मारक के लिए जनता द्वारा जमा की गयी राशि कुएं और सड़कों के निर्माण में खर्च कर दी जाये. इस क्रम में रक्षा मंत्री ने कहा कि पटेल सच्चे अर्थों में उदार और निष्पक्ष नेता थे. उन्होंने कभी भी तुष्टिकरण की राजनीति नहीं की.
इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने सोमनाथ मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए सरकार से एक भी पैसे की मदद नहीं ली गयी था. पूरा धन जनता ने दिया था. कहा कि अयोध्या राम मंदिर भी जनता के सहयोग से बना है. यह वास्तविक धर्मनिरपेक्षता को दर्शाता है.
राजनाथ सिंह ने याद दिलाया कि कांग्रेस के 1946 के अध्यक्ष पद के चुनाव में अधिकतर लोग पटेल के पक्ष में थे, लेकिन महात्मा गांधी के अनुरोध पर पटेल ने नाम वापस ले लिया. इसके बाद नेहरू अध्यक्ष बने. और बाद में वह देश के प्रधानमंत्री बने.
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनवाकर पटेल को वह सम्मान दिया, जो उन्हें बरसों पहले ही मिल जाना चाहिए था. रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू ने खुद को भारत रत्न दिया, लेकिन पटेल को उस समय यह सम्मान नहीं दिया गया.
राजनाथ सिंह ने अहम बात कही कि कश्मीर के विलय के संबंध में पटेल की सलाह मान ली जाती तो कश्मीर समस्या लंबे समय तक देश के लिए बोझ नहीं बनती. मोदी सरकार ने भी ऑपरेशन सिंदूर के समय इसी मजबूत रुख को कायम रखा.नतीजा सामने है. रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 370 हटा कर कश्मीर को सही मायनों में भारत से जोड़ा.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.

Leave a Comment