NewDelhi : आज सोमवार को विपक्षी सांसदों ने डीलिमिटेशन, वोटर कार्ड के डुप्लिकेशन और अमेरिका से बाचतीत के मुद्दे पर नियम 267 के तहत नोटिस दिये, लेकिन उप सभापति हरिवंश ने सभी 12 नोटिस खारिज कर दिये. इस निर्णय के बाद विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया. उपसभापति हरिवंश ने बताया कि परिसीमन, वोटिर लिस्ट में खामियां और वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिकन फंडिंग जैसे मुद्दों पर 12 नोटिस मिले हैं. लेकिन आसन द्वारा किसी भी नोटिस को स्वीकार नहीं किया गया है. विपक्षी दल लगातार नारेबाजी करते हुए नोटिस में दिये गये मुद्दों को उठाने की मांग कर रहे हैं.
इससे पूर्व राज्यसभा के सदस्यों की ओर से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने चैंपियंस ट्रॉफी जीतने पर भारतीय टीम को बधाई दी.
#WATCH दिल्ली: राज्यसभा के सदस्यों की ओर से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने चैंपियंस ट्रॉफी जीतने पर भारतीय टीम को बधाई दी।
(सोर्स: संसद टीवी) pic.twitter.com/Dd4Uit5eZx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 10, 2025
#WATCH | Delhi: Rajya Sabha MP Kapil Sibal says, “Election Commission is in the hands of the government… If democracy continues like this and Election Commission keeps lobbying for the government, then the results that will definitely come are in front of you… If this system… pic.twitter.com/i9rFZVmBc3
— ANI (@ANI) March 10, 2025
चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था, उसके बारे में हम यहां बयानबाजी नहीं कर सकते
राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वोटर लिस्ट में खामियों का मुद्दा उठाने की कोशिश की. इस पर उप सभापति ने कहा, चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसके बारे में हम यहां बयानबाजी नहीं कर सकते.
राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि 267 के तहत दिये जाने वाले स्थगन के नोटिस को पहले ही रूलिंग के तहत खारिज किया जाता रहा है. फिर भी विपक्षी दल लगातार इस तरह के नोटिस देते रहते हैं. आरोप लगाया कि विपक्ष गैर जिम्मेदारी से काम कर रहा है और इन लोगों को नियम समझाने के लिए कोर्स कराने की जरूरत है. नड्डा ने विपक्ष के वॉकआउट की निंदा की,
चुनाव आयोग सरकार के लिए पैरवी करता रहा तो जो नतीजे आएंगे वो आपके सामने हैं
बाद में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने पत्रकारों से कहा, चुनाव आयोग सरकार के हाथ में है. अगर लोकतंत्र ऐसे ही चलता रहा और चुनाव आयोग सरकार के लिए पैरवी करता रहा तो जो नतीजे आएंगे वो आपके सामने हैं. अगर यही व्यवस्था चलती रही तो ये लोकतंत्र नहीं बल्कि दिखावा है. हमें कई सालों से शक है. जमीन पर क्या होता है ये सबको पता है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है.
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