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रक्षाबंधन स्पेशल : हजारीबाग में भाई-बहन के स्नेह का विशेष धागा हो रहा तैयार

  • रक्षाबंधन के त्योहार में हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं की मेहनत से गुलजार है रक्षासूत का बाजार
  • 20 महिलाओं का समूह कर रहीं रंग-बिरंगी राखियों का कारोबार
Gaurav Prakash Hazaribagh : हजारीबाग में भाई-बहन के स्नेह का विशेष धागा तैयार हो रहा है. यहां इस रक्षाबंधन के त्योहार में हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं की मेहनत से रक्षासूत का बाजार गुलजार हो रहा है. 20 महिलाओं का समूह राखियों के इस कारोबार से जुड़ी हैं. भाई बहन के प्यार का प्रतीक राखी पर्व को लेकर तैयारी जोर-जोर से साथ चल रही है. बाजार भी सज कर तैयार हो चुका है. आज आपको हम 20 ऐसी महिलाओं के समूह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो राखी बना रही हैं. यह महिलाएं इसलिए भी खास है, क्योंकि इनमें आधे से अधिक मुस्लिम समुदाय की महिलाएं हैं, जो आज आपसी भाईचारा का पैगाम भी दे रही हैं. साथ ही अपना व्यवसाय भी कर रही हैं.

सांसद के प्रयास से आत्मनिर्भर हजारीबाग की परिकल्पना हो रहा साकार

हजारीबाग में सांसद जयंत सिन्हा के प्रयास से आत्मनिर्भर हजारीबाग की परिकल्पना बनाई गई है. इसमें 1000 से अधिक महिला-पुरुषों को जोड़ा गया है. यह हजारीबाग के विभिन्न इलाकों में रहकर अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए जीटी भारत संस्था मदद कर रही है. यह प्रयास जयंत सिन्हा के व्यक्तिगत और निजी प्रयास से संभव हो पाया है. इसी संस्था से जुड़कर कटकमदाग की ढेंगुरा की रहने वाली निखत परवीन, इफरत परवीन, नुरेशा खातून, परमिलू खातून, नीतू देवी, मधु देवी, सफिया परवीन, रूबी परवीन समेत कई ऐसी महिलाएं हैं, जो परंपरागत ढंग से राखी बना रही हैं. उनकी बनाई हुई राखी झारखंड सरकार के पलास मार्ट के अलावा कई अलग-अलग सेंटर पर बिक रही है.

रांची और देवघर पहुंच रही हजारीबाग की रंग-बिरंगी राखियां

निखत परवीन बताती हैं कि ₹10000 से राखी बनाने का काम शुरू किया गया. अब राखी पूरे हजारीबाग के अलावा रांची और देवघर में भी उपलब्ध कराया जा रहा है. उनका कहना है कि उनलोगों ने बेहद प्यार से हस्तनिर्मित राखी तैयार कर रही हैं. अन्य जगह से बनी हुए राखी की तुलना में बेहतरीन भी है. इसमें हजारीबाग के हजारों साल पुराने सोहराय कला को भी उकेरा है. इस तरह से राखी के साथ-साथ यहां की संस्कृति और कलाकृति के बारे में भी आम लोगों को जानकारी देने की कोशिश की जा रही है. उनका यह भी कहना है कि बच्चों को सोहराय से जोड़ने के लिए इस तरह की कोशिश की जा रही है, ताकि बच्चे भी हजारीबाग की संस्कृति और कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें. इसे भी पढ़ें : बिहारः">https://lagatar.in/bihar-begum-thrashes-husband-fiercely-in-katihar-court-premises/">बिहारः

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स्वरोजगार से जोड़ मदद कर रही सरकार

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alt="" width="600" height="400" /> ग्रैंड थॉर्टन के लिए काम करने वाली दिव्या भारती बताती हैं कि दो वर्षों से आत्मनिर्भर हजारीबाग कार्यक्रम के तहत महिलाओं और पुरुष को रोजगार से जोड़ा जा रहा है. वुडक्राफ्ट ऑटिज्म्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के तहत काम किया जा रहा है. स्फूर्ति योजना एमएसएमई विभाग भारत सरकार मदद कर रही है. रोजगार कुछ इस रूप में बनाया जा रहा है कि वे लंबे समय तक धन उपार्जन कर सकें. उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान समय में राखी की मांग सबसे अधिक है. इसे देखते हुए महिलाओं को राखी बनाने के लिए प्रेरित किया गया. इनमें से कुछ महिला एंब्रॉयडरी की जानकारी रखती थी. ऐसे में उन महिलाओं को ट्रेंड किया गया. डिजाइन बताया गया और अच्छी पैकिंग कर तैयार की गई है.

बच्चों की सर्वाधिक पसंदीदा इमोजी राखी 

राखी में रेशम के धागे का उपयोग किया गया है. इसके अलावा इमोजी राखी अधिक बनाई गई है, क्योंकि बच्चे सबसे अधिक इमोजी राखी पसंद करते हैं. इसके अलावा फ्लावर राखी बनाई गई है. उत्पाद को ऑनलाइन के विभिन्न प्लेटफॉर्म में भी उपलब्ध कराया गया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑनलाइन ऑर्डर भी उनके पास पहुंच रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस कारोबार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय की महिलाएं एक साथ राखी बना रही हैं, जो आपसी प्रेम को भी दर्शाता है. इसे भी पढ़ें : बिहारः">https://lagatar.in/bihar-smuggler-caught-with-gold-worth-three-and-a-half-crores/">बिहारः

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