Lagatar Desk : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के जमीन खरीद विवाद में भाजपा नेता दीप नारायण का नाम आ रहा है. दीप नारायण उपाध्याय अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे हैं. 20 फरवरी, 2021 को दीप नारायण उपाध्याय ने इस जमीन को 20 लाख रुपये में खरीदा था. तीन महीने बाद दीप नारायण ने 11 मई, 2021 को वही ज़मीन राम मंदिर निर्माण के लिए बने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 2 करोड़ 50 लाख रुपये में बेच दिया. महज तीन महीने में इस जमीन की कीमत 12 गुना से भी अधिक कीमत में बेचा गया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा इस ट्रस्ट की स्थापना की गयी है. दीप नारायण का नाम सामने आने के बाद मेयर ऋषिकेश उपाध्याय पर भी उंगलियां उठ रही हैं.
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सर्किल रेट से 15 लाख रुपये कम में खरीदी गयी जमीन
जानकारी के अनुसार दीप नारायण ने जब यह जमीन खरीदी थी, तब उसकी कीमत सर्किल रेट के मुताबिक 35.6 लाख रुपये थी. यानी फरवरी महीने में सर्किल रेट से 15 लाख रुपए कम कीमत में यह जमीन को खरीदी गयी और महज तीन महीने बाद 2 करोड़ 50 लाख में बेच दी गयी. इस जमीन का सर्किल रेट 4,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर है. लेकिन दीप नारायण ने महंत प्रसादाचार्य से इसे 2,247 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से खरीदा और ट्रस्ट को 28,090 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से बेच दिया.
मंदिर ट्रस्ट को एक और जमीन बेच चुका है दीप नारायण
बता दें कि फरवरी में ट्रस्ट ने दीप नारायण से एक और जमीन खरीदी थी, जिसकी संख्या 36 है. दीप नारायण ने यह जमीन रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के चंपत राय को बेची. बैनामा पर इस जमीन की बिक्री का दिन 20 फरवरी दर्ज है, लेकिन बिक्री को लेकर जारी डिजिटल कॉपी में 22 फरवरी की तारीख दर्ज है. 676.85 वर्गमीटर वाली इस जमीन का सर्किल रेट 27 लाख आठ हज़ार रुपये है. इस जमीन को 14,774 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से दीप नारायण उपाध्याय ने एक करोड़ रुपए में राम मंदिर ट्रस्ट को बेचा है. ऋषिकेश उपाध्याय ने बताया कि यह जमीन दीप नारायण की पैतृक जमीन है. एक ही दिन राम मंदिर के आसपास दीपनारायण ने सर्किल रेट से आधी कीमत पर जमीन खरीदी और उसी क्षेत्र में ट्रस्ट को तीन गुना कीमत पर बेची.
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दोनों जमीनों की खरीद के गवाह हैं ट्रस्ट के एक सदस्य
इन दोनों जमीनों की खरीद-फरोख्त में एक गवाह अनिल कुमार मिश्रा हैं. अनिल मिश्रा राम मंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य हैं. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 11 मई को दीप नारायण से ज़मीन खरीदी. इसमें दो गवाह हैं. एक गवाह राज कुमार दास हैं और दूसरे अनिल मिश्रा हैं. अनिल मिश्रा जो कि राम मंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य भी हैं. वह फरवरी महीने में जिस रोज दीप नारायण द्वारा ट्रस्ट को एक करोड़ में बेची गयी जमीन के गवाह बने, उसी दिन दीप नारायण ने 20 लाख रुपए में महंत प्रसादाचार्या से जमीन खरीदी थी. वही जमीन जो मई महीने में 2 करोड़ 50 लाख में बतौर गवाह राम मंदिर ट्रस्ट को बेची गयी.
समाचार वेबसाइट न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा जारी दस्तावेजों के मुताबिक 20 फरवरी को दीपनारायण ने महंत देवेंद्र प्रसादाचार्या से जो जमीन खरीदी, उसका सर्टिफिकेट शाम के पांच बजे जारी हुआ. इसी शाम 7 बजकर 22 मिनट पर दीप नारायण ने ट्रस्ट को अपनी दूसरी जमीन एक करोड़ में बेच दी. अब सवाल यह उठता है कि क्या अनिल मिश्रा को पता नहीं था कि वह तीन महीने के भीतर 20 लाख की ज़मीन को 2 करोड़ 50 लाख में बिकवा रहे हैं? और क्या उन्हें यह भी पता नहीं था कि दीप नारायण मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे हैं.
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दोनों जमीनों के मामले में बेचनेवाले मेयर ऋषिकेश पाठक के रिश्तेदार
बता दें कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर 12 जून को आम आदमी पार्टी और सामाजवादी पार्टी ने घोटाले का आरोप लगाया. आरोप है कि 18 मार्च को कुछ मिनट पहले दो करोड़ में बिकी 1.3 हेक्टेयर जमीन को ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ में खरीदा है. दोनों खरीद-बिक्री में केंद्रीय किरदार मेयर ऋषिकेश उपाध्याय हैं. दरअसल बाग़ बिजैसी इलाके में 18 मार्च को हरीश पाठक और कुसुम पाठक ने 1.3 हेक्टेयर जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को दो करोड़ में बेची थी. इस जमीन का सर्किल रेट 5 करोड़ 79 लाख रुपए था. कुछ ही मिनट बाद पाठक और तिवारी ने 18.5 करोड़ रुपए में इसे ट्रस्ट को बेच दिया. जानकारी के मुताबिक रवि मोहन तिवारी अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के समधी शीतला पाठक के साले हैं.
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मेयर के समधी पर यूपी के कई जिलों में दर्ज हैं धोखाधड़ी के मामले
वेबसाइट के मुताबिक हरीश पाठक पर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं. उनके घर की कुर्की हो चुकी है. उनसे हुई हर खरीद-बिक्री में अनिल मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह थे. दरअसल अनिल कुमार मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई ज्यादातर जमीनों में भी गवाह हैं. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट फरवरी-मार्च से अयोध्या में काफी जमीनें खरीद रहा है. जमीन खरीदने का सिलसिला इसी साल चले चंदा अभियान में भारतीयों द्वारा करोड़ों का चंदा देने के बाद शुरू हुआ. मीडिया के मुताबिक विश्व हिंदू परिषद ने बताया था कि कि 4 मार्च तक बैंकों की रसीदों के अनुसार राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों ने 2,500 करोड़ रुपये से अधिक दान दिये हैं. इसके बाद भी दान मिलने का सिलसिला रुका नहीं है.
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