Ranchi: रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो गई है. 7 तारीख नामांकन की अंतिम तारीख थी और कुल 20 प्रत्याशी मैदान में हैं. ये सीट कांग्रेस विधायक ममता देवी के गोला गोलीकांड दोषी पाये जाने पर सजा होने पर खाली हुई है. अब उनके पति बजरंग महतो यूपीए के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. उनके नामांकन में कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे समेत जेएमएम और आरजेडी के नेता मौजूद रहे. यानी गठबंधन की एकता और मजबूती दिखाने की कोशिश की गई.
इससे पहले एनडीए प्रत्याशी के रूप में आजसू की सुनीता चौधरी ने भी नामांकन किया था. जिसमें बीजेपी के नेता और रांची से विधायक सीपी सिंह भी शामिल हुए थे. यानी दोनों तरफ से एकता को दिखाने की पूरी कोशिश की गयी है. सुनीता चौधरी गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी हैं. पिछली बार ये ममता देवी से पराजित हुई थीं, हालांकि पिछली बार आजसू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. जेवीएम भी चुनावी जंग में शामिल थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने आजसू को समर्थन दिया है. वहीं जेवीएम का विलय बीजेपी में हो गया है. ऐसे में सुनीता चौधरी अपनी जीत को लेकर ज्यादा आशान्वित हैं.
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इधर, बजरंग महतो को उम्मीद है कि ममता देवी को सजा मिलने से उन्हे जनता की सहानुभूति मिलेगी और वो जीतेंगे. पिछले दिनों सरकार की ओर से किए गए कार्यों को भी वे जनता के सामने लाएंगे, चाहे वह स्थानीय नीति हो या नियोजन नीति. या आरक्षण की सीमा बढ़ाने का फैसला, ये अलग बात है कि इनमें पेंच आ गया है.
रामगढ़ चुनाव हेमंत सरकार के लिए भी एक लिटमस टेस्ट होगा कि सरकार के फैसलों का कितना असर हुआ है. राज्यपाल के द्वारा उसको लौटाने के बाद जनता क्या सोचती है.
रामगढ़ विधानसभा में कुड़मी वोटरों की संख्या अधिक है. एसटी का दर्जा नहीं दिए जाने पर कुड़मी नाराज हैं. युवा पहले से ही वोटरों को हेमंत सरकार के खिलाफ लामबंद करने में लगे हैं. कई युवाओं ने नामांकन भी दाखिल किया है.
9 फरवरी को कैबिनेट की बैठक होने वाली है. हो सकता है कि इसमें सरकार नई नियोजन नीति को मंजूरी दे और अनुबंधित कर्मियों को नियमित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति मिले. इसके अलावा अन्यी निर्णय लेकर भी सरकार खिलाफ में बह रही हवा को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर सकती है.
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हेमंत सरकार बनने के बाद राज्य में अब तक चार उपचुनाव हो चुके हैं. दुमका, मधुपुर, बेरमो और मांडर. सभी उपचुनावों में यूपीए के प्रत्याशी को जीत मिली है. अब रामगढ़ पांचवा उपचुनाव है.
राज्य में उपचुनावों में झामुमो और कांग्रेस का रिकॉर्ड हमेशा बेहतर रहा है. झारखंड में 2015 से लेकर अब तक कुल 11 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिनमें से इन दोनों पार्टियों ने 10 सीटों पर जीत हासिल की है. सिर्फ एक बार वर्ष 2016 में गोड्डा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के अमित मंडल ने जीत दर्ज करने में सफलता पाई थी. अब रामगढ़ में किसके सिर ताज सजेगा यह देखना दिलचस्प होगा.