-नहीं हुआ गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन, ना ही एंबुलेंस चलाने के लिए हैं ड्राइवर
-संचालन करने वाली नई एजेंसी ने एंबुलेंस संचालन के लिए मैन पावर बहाली के लिए निकाली है नियुक्ति
-5 जुलाई को हुआ था एंबुलेंस का उद्घाटन
-एक लाख की आबादी पर एक एंबुलेंस का है प्रावधान
Sourav Shukla
Ranchi: झारखंड के लोगों के लिए लाइफलाइन कही जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा का उदघाटन 5 जुलाई को किया गया था. प्रावधान है कि एक लाख की आबादी पर एक एंबुलेंस की तैनाती होगी. पूर्व से 337 एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है. वहीं सेवा का विस्तार करते हुए 206 नई एंबुलेंस को जोड़ा गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हरी झंडी दिखाकर एंबुलेंस को रवाना किया था. उद्देश्य था राज्य के मरीजों को समय पर एंबुलेंस की सुविधा मिले, अस्पताल पहुंचने में देरी न हो. लेकिन उद्घाटन के 13 दिन बाद भी नए एंबुलेंसों का लाभ किसी भी मरीज को नहीं मिल सका है. सीएम के हरी झंडी दिखाने के महज 15 मिनट के अंदर ही सभी एंबुलेंस एनएचएम परिसर का चक्कर लगाकर खड़ी कर दी गईं. परिचालन शुरू नहीं हुआ. जानकारी लेने पर ये बातें सामने आई की उद्धाटन के 13 दिन बाद भी एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी. हालांकि एनएचएम के अधिकारियों का कहना है कि उद्घाटन से पूर्व ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की गई. अस्थाई से स्थाई रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की जा रही है. प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण अब तक किसी भी गाड़ी पर नंबर प्लेट नहीं लगाए गए हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण एंबुलेंसों का इंश्योरेंस भी नहीं हो सका है. ऐसे में बगैर रजिस्ट्रेशन व इंश्योरेंस के गाड़ियों का परिचालन संभव नहीं है. इसलिए सभी गाड़ियां एनएचएम परिसर में ही खड़ी हैं.
एंबुलेंस संचालन के लिए के लिए नई एजेंसी कर रही है मैन पावर की नियुक्ति
206 एंबुलेंस की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी जल्दबाजी में पूरी कर ली जाए, तब भी इसके संचालन में देरी होने की संभावना है. क्योंकि 108 एंबुलेंस सेवा के संचालन के लिए जिस नई एजेंसी का चयन हुआ है उसके पास इन एंबुलेंसों को चलाने के लिए ड्राइवर और ईएमटी स्टाफ ही उपलब्ध नहीं हैं. मंगलवार को संचालन के लिए चयनित नई एजेंसी ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विस ने ड्राइवर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला. इसमें भी एजेंसी ने 3 वर्षों का अनुभव मांगा है. साथ ही शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास रखी गई है. आवेदकों के पास भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है. साथ ही इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) और कॉल सेंटर के लिए ईआरओ की नियुक्ति होनी है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद एंबुलेंस का संचालन हो सकेगा.
एंबुलेंस सेवा शुरू नहीं होने से मरीज सुविधा से वंचित
उद्घाटन के बाद भी एंबुलेंसों का परिचालन शुरू नही होने से सीधे तौर पर मरीज सुविधा से वंचित हो रहे हैं. राज्य में पहले से 108 सेवा के तहत 337 एंबुलेंस संचालित थे. यह संख्या पर्याप्त नहीं थी इसे देखते हुए संख्या में बढ़ोत्तरी के उद्देश्य से 206 नई एंबुलेंस की खरीद की गई. ऐसे में उद्घाटन के दिन से ही यदि इन सभी का परिचालन शुरू हो जाता तो कॉल सेंटर से एंबुलेंस बुकिंग टाइम से घर तक पहुंचने वाली देरी कम हो जाती. यदि 1 एंबुलेंस एक दिन में एक ही मरीज को अस्पताल पहुंचाता, तो 24 घंटे में ही 206 मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था. उद्घाटन के 13 दिन बीत चुके हैं. इन 13 दिनों में 206 एंबुलेंस से एक-एक मरीज प्रतिदिन के हिसाब से 2678 मरीज अस्पताल पहुंच जाते.
क्या कहते हैं एनएचएम के अभियान निदेशक
एनएचएम के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने कहा कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण गाड़ियों का परिचालन शुरू नहीं हो सका है. यह प्रक्रियाधीन है. जल्द से जल्द टेंपररी रजिस्ट्रेशन को परमानेंट रजिस्ट्रेशन कराने और इश्योरेंस के बाद परिचालन शुरू कराया जाएगा. उन्होंने जल्द एंबुलेंस के संचालन की बात कही है.
इन सुविधाओं से लैस हैं 108 एंबुलेंस
-51 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस- इस एंबुलेंस में मरीज के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध है. साथ ही इसमें डिफाइब्रिलेटर मशीन लगी होती है. यह मशीन हृदय गति की मॉनिटरिंग के उपयोग में आती है.
-131 बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस- इस एंबुलेंस में मरीज के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था होती है. साथ ही सक्सशन मशीन भी होता है. इस कैटेगरी के एंबुलेंस से वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत वाले मरीज को अस्पताल नहीं ले जाया जा सकता है.
-24 नियोनेटल लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस- यह एंबुलेंस बच्चों के लिए है. इसमें नवजात बच्चों से लेकर सामान्य उम्र के बच्चों के अनुसार सुविधाएं होती है. इसमें बच्चों के ऑक्सीजन सप्लाई के अनुरूप वेंटिलेटर की सुविधा भी होती है.
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