Ranchi: चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के सहयोग से खूंटी जिले में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. इसमें स्कूली बच्चों के बीच बाल विवाह को लेकर जानकारी दी गई. बताया गया कि झारखंड की गिनती देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में होती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, झारखंड में पिछले कुछ वर्षों में 3,38,064 बाल विवाह हुए हैं. यह पूरे देश में बाल विवाह का तीन फीसदी है.
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झारखंड में 32.2 फीसदी होता है बाल विवाह
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 18 वर्ष से कम आयु में विवाह करने वाली किशोरियों की संख्या 32.2 फीसदी है. ग्रामीण इलाकों में 36.1 फीसदी तो वहीं शहरी क्षेत्रों में 19.4 फीसदी नाबालिग लड़कियों का बाल विवाह होता है. झारखंड में 15-19 वर्ष आयु वर्ग की 9.8 फीसदी लड़कियां समय से पहले मां बन जाती हैं. ग्रामीण इलाकों में कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियां की संख्या 11.2 फीसदी है वहीं शहरी इलाकों में 5.2 फीसदी.
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बाल विवाह से बढ़ता है मातृ-शिशु मृत्यु दर
बता दें कि कम उम्र में मां बनने से लड़कियों को शारीरिक और मानसिक रूप से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि तथा विकास रूक जाता है. कम उम्र में शादी होने से लड़कियां कम उम्र में गर्भधारण भी करती हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से जान गंवाती हैं. सही पोषण नहीं मिल पाता. बाल विवाह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के कारणों में से एक है.