Dumka: विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दुमका विधायक बसंत सोरेन और उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि संताल बाहुल्य क्षेत्रों के सरकारी कार्यालयों और भवनों के नामपट्ट में संताली भाषा की ओल-चिकी लिपि भी शामिल की जाए.
संताली भाषा, लिपि और संस्कृति के संरक्षण की जरूरत
संगठनों ने कहा कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और संताल समुदाय की जनसंख्या सबसे अधिक है. उनकी समृद्ध भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित करना सरकार की जिम्मेदारी है.
सरकार ने पहले ही जारी किए हैं दिशा-निर्देश
ज्ञापन में बताया गया कि 13 फरवरी 2019 को जारी सरकारी निर्देश के अनुसार, संताल बाहुल्य क्षेत्रों में सरकारी भवनों और कार्यालयों के नामपट्ट पर संताली भाषा की ओल-चिकी लिपि में नाम अंकित करने का आदेश दिया गया था. कई स्थानों पर इसे लागू किया गया है, लेकिन अब भी कई सरकारी भवन इससे वंचित हैं.
संगठनों की अपील
आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री से मांग की कि दुमका सहित राज्य के सभी संताल बाहुल्य क्षेत्रों में इस नियम को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए. इस दौरान परेश मुर्मू, लालटू मरांडी, रितेश मुर्मू, सुनील टुडू, मोतीलाल मुर्मू समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे.
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