इंडिया के घटक दलों की बैठक में फैसला: राज्य मुख्यालय से लेकर हर जिले में होगा प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम सौंपेंगे ज्ञापन
कहा- केंद्र की चुप्पी अब बर्दाश्त नहीं, समाहरणालय से राजभवन तक करेंगे प्रदर्शन
Ranchi: इंडिया के झारखंड के सभी घटक दलों ने फैसला किया है कि मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर चुप नहीं रहेंगे. वहां की स्थिति पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जो चुप्पी साध रखी है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इंडिया के सभी घटक दल इसका पुरजोर विरोध करेंगे. यह विरोध केवल राजधानी में नहीं, बल्कि पूरे राज्य के जिला मुख्यालयों पर होगा. एक अगस्त को इंडिया के सभी घटक दल राज्य के मुख्यालय में समाहरणालय से लेकर राजभवन तक विरोध दर्ज करेंगे. धरना देंगे और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. इसी तरह बाकी जिला मुख्यालयों पर भी समाहरणालय पर प्रदर्शन करके ज्ञापन सौंपा जाएगा. यह निर्णय रविवार को कांग्रेस भवन में इंडिया के सभी घटक दलों की बैठक में लिया गया. बैठक की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने की. वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम मुख्य रूप से उपस्थित थे.
मणिपुर पर पीएम क्यों हैं चुप
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा कि मणिपुर 3 मई से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है. बावजूद इसके देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. अब तक केंंद्र सरकार मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा को रोकने में पूर्णतः नाकाम रही है. मणिपुर में भीड़ द्वारा महिलाओं को नंगा कर उनके शरीर के साथ दुर्व्यवहार करने का शर्मनाक वीडियो के वायरल होने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया, तो संसद भवन में उनके माइक को बंद कर दिया गया. केंद्र सरकार लोकतंत्र का मखोल उड़ा रही है. उन्होंने कहा कि इंडिया के घटक दल के सांसद चाहते हैं कि सदन में नियम 267 के द्वारा चर्चा हो. इस चर्चा में मणिपुर की सच्चाई निकल कर सामने आए, लेकिन सत्ता पक्ष यह चाहता है कि चर्चा मात्र औपचारिकता के लिए हो. कांग्रेस एवं विपक्षी दलों को विशेष चर्चा से कम मंजूर नहीं है.
इसे पढ़ें-जमशेदपुर : : मेनहर्ट और टॉफी टी-शर्ट घोटाले में घिरता देख बौखला गए हैं रघुवर- सरयू राय
भाजपा ने मणिपुर में दो समुदाय को लड़ाया
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि जिस तरह से मणिपुर जल रहा था और वहां की सरकार मूक दर्शक बन कर देख रही थी, यह किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहां के दो समुदाय के लोगों को आपस में लड़ाने का काम भाजपा ने किया है. भाजपा की नीति एवं सिद्धांत को पूरा देश जान चुका है. कुछ दिन पहले जो वीडियो वायरल हुआ, उस वायरल वीडियो ने दुनिया के सामने देश को शर्मशार कर दिया. देश की जनता भाजपा सरकार को कभी माफ नहीं करेगी.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगे
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद खीरू महतो ने कहा कि मणिपुर की घटना को लेकर हमलोग चिंतित है. 1 अगस्त को पूरे राज्य के सभी जिलों में एवं राजभवन के समक्ष धरना देने जा रहे हैं, जिसको लेकर मैंने अपने संगठन के सभी जिलाध्यक्षों एवं प्रदेश के सभी पदाधिकारियों को यह संदेश दे दिया है कि इस धरना में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल हों. इस धरना के माध्यम से केंद्र सरकार से आगह करना चाहते हैं कि जितना जल्द हो सके, मणिपुर की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
मणिपुर की घटना बर्दाश्त के काबिल नहीं
जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि मणिपुर को लेकर हमलोग विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं. रांची में राजभवन के समक्ष सभी दल के लोग बैठेंगे और धरना प्रदर्शन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भी देंगें. केंद्र को इस बात से अवगत कराएंगे कि मणिपुर में घटी घटना को लेकर केवल इंडिया घटक दल हीं नहीं, बल्कि पूरा देश मर्माहत एवं चिंतित है. इस घटना को लेकर केंद्र संज्ञान ले. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद विजय हांसदा ने कहा कि लोकसभा में हमें बोलने नहीं दिया जा रहा है, इसलिए अब हम जनता के साथ सड़क पर उतर केंद्र सरकार के खिलाफ संघर्ष करेंगे.
मणिपुर की जनता की रक्षा करने में केंद्र असमर्थ
वामदलों के नेताओं ने बैठक में कहा कि मणिपुर की घटना से हम सभी लोग मर्माहत हैं. केंद्र सरकार एवं मणिपुर की राज्य सरकार मणिपुर की जनता की रक्षा करने में असमर्थ रही है. मणिपुर की सरकार मूक दर्शक बनी रही और मणिपुर जलता रहा. हम सभी घटक दल केंद्न् सरकार से मांग करते हैं कि मणिपुर की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
बैठक में ये रहे मौजूद
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, शहजादा अनवर, झामुमो से विजय हांसदा, जदयू से खीरू महतो, फागु बेसरा, विनोद पांडेय, राजद से राजेश यादव, रंजन कुमार, अरशद अंसारी, आप से सौरभ श्रीवास्तव, एमसीसी से सुशांद मुखर्जी, जदयू से श्रवण कुमार, सीपीआइएम से प्रफुल्ल लिंडा, सुखनाथ लोहरा, सीपीआई से धर्मवीर सिंह, तृणमूल कांग्रेस से संजय कुमार पांडेय, सीपीआई एमएल से विनोद लकड़ा, जनार्दन प्रसाद, मनोज भोक्ता, आप के संतोष कुमार रजक, डॉ अविनाश नारायण, प्रीतम कुमार मिश्रा आदि शामिल थे.