Ranchi: भारतीय वन उत्पादक संस्थान ललगुटवा में शुक्रवार को एथ्नोबॉटनी पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न हो गया. इसका आयोजन भारत सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची द्वारा किया गया था. समापन समारोह के मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक डॉ. नितिन कुलकर्णी थे. हाईब्रिड मोड में आयोजित इस प्रशिक्षण में देश के अनेक वन अधिकारी शामिल हुए.
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प्रशिक्षण शिविर में 4 वन पदाधिकारी ऑफलाइन मोड में शामिल हुए. इसमें कई विषयों पर चर्चा हुई. इसमें बताया गया कि जनजातियों के द्वारा बीमारियों के इलाज के लिये उपयोग हो रहे दवाओं का बेहतर उपयोग होना आवश्यक है. ताकि आधुनिक दवाओं के दुषप्रभाव से बचा जा सके. एथ्नोबॉटनी को बेहतर बनाने और वन पदाधिकारियों के लिये वनों के संरक्षण एवं विकास के लिए नेटवर्किंग का होना भी जरूरी है. वनों में पैदा होने वाली जड़ी बूटियों पर एक ट्रैकिंग हो. जिससे यह पता चले कि आयुर्वेदिक कंपनियां, जो दवाओं का निर्माण कर रही है वो वास्तव में हर्बल ही है या रसायन है.
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प्रतिभागियों ने कहा कि वन पदाधिकारियों के प्रशिक्षण में इस विषय को जोड़ा जाय ताकि इसका लाभ जनजातियों को मिल सके. इस पूरे प्रशिक्षण शिविर में देश के कुल 9 विषय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण में अपनी सेवाएं दी. इस शिविर में सतना मध्य प्रदेश के डॉ. राम लखन सिंह सिकरवार, बिनोवा भावे विश्वविद्यालय से डॉ. गंगा नाथ झा. ग्वालियर से डॉ. अशोक कुमार जैन, लखनऊ से डॉ. अनिल के गोयल, केरल से डॉ. राधाकृष्णन ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट के निदेशक डॉ. तनुजा नेशारी और भुवनेश्वर से डॉ. एनके घल थे.
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