Ranchi: बिरसा कृषि विश्विवद्यालय के वानिकी संकाय में देश के पहले गिलोय प्रोसेसिंग एवं रिसर्च सेंटर का फीता काटकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सोमवार को उद्घाटन किया. राज्यपाल ने इस नव स्थापित केंद्र का बारीकी से अवलोकन किया. केंद्र में स्थापित गिलोय प्रसंस्करण की विभिन्न मशीन को स्वयं चलाकर देखा और आधुनिक प्रयोगशाला में मौजूद संसाधनों एवं सुविधा की विस्तृत जानकारी ली. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने केंद्र की स्थापना को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की अद्वितीय उपलब्धि बताया और खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि करीब डेढ़ करोड़ की लागत से केंद्र प्रायोजित ‘आरकेवीआई’ परियोजना के अधीन स्थापित इस केंद्र से विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों को बेहतर शोध अध्ययन का अवसर मिलेगा. गिलोय पौधे के प्रसंस्करण से तैयार गिलोय सत्व का आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में उपयोग होगा. उन्होंने बीएयू को लाइसेंस लेकर टेबलेट एवं कैप्सूल बनाने का परामर्श दिया और कुलपति डॉ ओंकार नाथ एवं प्रभारी डॉ कौशल कुमार के प्रयासों की सराहना की.
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16 जिलों में दो लाख गिलोय के पौधे लगाए जाएंगे और इसे व्यावसियक खेती के रूप में विकसित करेंगे: कृषि मंत्री
कृषि मंत्री बादल ने इसे बीएयू की इतिहासिक उपलब्धि बतायी. उन्होंने कहा कि राज्य के 16 जिलों के एक-एक गांव में गिलोय विलेज की स्थापना की जाएगी. चयनित गांवों के किसानों को दो लाख गिलोय के पौधे का वितरण एवं अन्य उपादानों के वितरण से राज्य में गिलोय की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा उत्पादित गिलोय पौधे को बीएयू खरीदेगा और इसका प्रोसेसिंग एवं शोध कार्य सेंटर के माध्यम से होगा. इसकी मार्केटिंग के लिए हर्बल कंपनियों को जोड़ा जा रहा है. मौके पर कांके विधायक समरीलाल ने औषधिय क्षेत्र में बीएयू की लगातार उपलब्धियों की सराहना की. वहीं प्रभारी डॉ कौशल कुमार ने केंद्र की भावी गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी. इस दौरान डॉ एमएस मल्लिक सहित कई गणमान्य मौजूद थे.
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