Ranchi: मूलवासी सदान मोर्चा ने भाजपा और कांग्रेस से मांग की है कि लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में बाहरी व्यक्तियों को प्रत्याशी नहीं बनाएं. मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा , गृह मंत्री अमित शाह ,कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को अलग-अलग पत्र मेल के माध्यम से भेजा है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि राज्य में तीन तरह के लोग वास करते हैं. पहले मूलवासी सदान, जिनकी आबादी 65 प्रतिशत है, जो राज्य के सबसे पुराने वाशिंदे हैं. दूसरे जनजातीय हैं जिनकी आबादी 26 प्रतिशत है. तीसरी आबादी प्रवासियों की है जो 9 से 10 प्रतिशत ही हैं. सदान कोई जाति नहीं एक समुदाय है, जिसमें हिंदू ,मुस्लिम अगड़ी, पिछड़ी, दलित सभी आते हैं. मूलवासी सदानों की भाषा संस्कृति रहन-सहन खान -पान जनजातियों की तरह ही है. इसको देखते हुए ही जनजातियों और मूलवासी सदानों के उत्थान और विकास के लिए अलग राज्य का निर्माण स्व. पूर्व पीएम वाजपेई द्वारा झारखंड राज्य का निर्माण किया गया था.
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बहुसंख्यक सदान-मूलवासियों की हो रही है हकमारी
उन्होंने लिखा है कि जनजाति वर्ग को तो संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं. जिसके कारण उन्हे उनका अधिकार मिल जाता है. लेकिन मूलवासी सदानों को अलग से कोई संरक्षण सरकार की ओर से नहीं है मिला है. जिसके कारण गैर आदिवासी की श्रेणी में ही मूलवासी सदानों आते हैं और इसका लाभ प्रवासी ले लेते हैं. जिससे मूलवासी सदानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. राज्य में पिछड़ी जातियों की आबादी करीब 55 प्रतिशत है. जिसमें तेली, कुर्मी जाति एक बहुत बड़ी आबादी है और जनजाति घोषित कराने के लिए आंदोलित है.
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झारखंड के 112 प्रखंड पूरी तरह से जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित
प्रसाद ने पत्र में लिखा है पहले से ही लोकसभा और विधानसभा की सीटों के आरक्षित होने के कारण चुनाव लड़ने से सदान वंचित रहे हैं और बाद में झारखंड के 112 प्रखंडों की सभी पंचायतों को मुखिया, प्रमुख ,जिला परिषद अध्यक्ष को जनजातीय समुदाय के लिए पूरी तरह आरक्षित कर दिया गया है. लोकसभा और विधानसभा में भी जो अनारक्षित सीटें हैं उसमें बाहरी व्यक्तियों को लोकसभा और विधानसभा का प्रत्याशी बनाया जाते रहे हैं. जिससे सदान आक्रोशित हैं. प्रसाद ने अपने पत्र में लिखा है हम कोई बाहरी -भीतरी की बात नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ मूलवासी सदानों की उपेक्षा से दुखी हैं. उनके अधिकारों के लिए चिंता कर रहे हैं. उन्होंने पत्र में लिखा है कि अगले शीतकालीन सत्र में लोकसभा की 14 सीटों को बढ़ाकर 28 करने और विधानसभा की 81 सीटों को बढ़ाकर 160 करने का प्रस्ताव पास करने का आग्रह प्रधानमंत्री से किया है. जिससे मूलवासी सदानों को भी लोकसभा और विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल सके.
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