Ranchi: सरहुल पर्व 30 मार्च से शुरू हो रही है, जो दो अप्रैल तक चलेगी. इसके साथ ही प्रकृति पर्व सरहुल की धूम पूरे शहर में देखने को मिल रही है. शहर को जोड़ने वाली मुख्य सड़कों के किनारे सरना झंडा लगाया गया है. मेनरोड, रेडियम रोड, रातु रोड समेत अन्य सड़कों पर भी सरना झंडा गाड़ा जा चुका है. लोगों को अभी से सरहुल पर्व का एहसास दिला रहा है. इसके साथ ही आदिवासी समाज के लोग अपनी पसंद की पारंपरिक वेशभूषा खरीदने के लिए कपड़े की दुकान में भी पहुंच रहे हैं. वहीं रांची कॉलेज, मेन रोड, अपर बाजार, कांटाटोली समेत कई बाजारों में सरना झंडा और पारंपरिक वेशभूषा की सजावट की गई है, जहां दुकानों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगी है. इस मौके पर आदिवासी मार्ट में पारंपरिक वेशभूषा पर 20% छूट दी जा रही है. जिससे ग्राहकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. कपड़ा खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है.
आठ राज्यों के 32 जनजातीय समुदायों की वेशभूषा उपलब्ध
आदिवासी मार्ट के दुकानदार संगम बड़ाइक ने बताया कि यहां झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के 32 जनजातीय समुदायों की पारंपरिक वेशभूषा उपलब्ध है. ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए कपड़ों की एक बड़ी रेंज रखी गई है.
पारंपरिक वेशभूषा की कीमतें
बंडी | 350-500 रुपया |
पगड़ी | 330 रुपया |
बच्चों के कपड़े (सेट) | 300 रुपया |
साड़ी | 200-2000 रुपया |
गमछा | 25-1000 रुपया |
टोपी | 150-200 रुपया |
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