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मान-सम्मान की रक्षा के लिए जाना पड़ा हाईकोर्ट
मेयर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन को यह भी बताया कि रांची नगर निगम परिषद व स्थायी समिति की बैठक में पिछले एक वर्ष (2021-22) से नगर आयुक्त मुकेश कुमार झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 में निहित प्रावधानों का उल्लंघन कर अपनी मनमानी कर रहे हैं. नगर निगम परिषद व स्थाई सामिति की बैठकों में उन्होंने मेयर की अनुमति के बिना कई ऐसे एजेंडों को शामिल किया. सिर्फ यही नहीं, जिन एजेंडों पर विरोधाभाष था, उससे संबंधित प्रशासनिक व तकनीकी बिंदुओं पर जानकारी भी मांगी गई. लेकिन अब तक मुकेश कुमार ने किसी भी एजेंडे के प्रशासनिक व तकनीकी पक्ष को स्पष्ट करते हुए कोई जवाब नहीं दिया. आशा लकड़ा ने आगे कहा की मैने अपनी जिम्मेदारियों व कर्तव्यों को निभाते हुए इस विषय पर कई बार नगर आयुक्त को पत्राचार भी किया. लेकिन अब तक किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया. अंततः विवश होकर अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए मुझे नगर आयुक्त मुकेश कुमार के आचरण के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी. उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस मामले में हाईकोर्ट से न्याय अवश्य मिलेगा. इसे भी पढ़ें-काशी">https://lagatar.in/at-manikarnika-ghat-in-kashi-city-brides-danced-amidst-pyres-worshiped-baba-masan/">काशीके मणिकर्णिका घाट पर आधी रात चिताओं के बीच नगर वधुओं ने नृत्य किया, बाबा मसान की पूजा की मेयर आशा लकड़ा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष से अनुरोध किया कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए नगर आयुक्त मुकेश कुमार पर उचित कार्रवाई की जाये, ताकि आदिवासी महिला (मेयर) का मनोबल बना रहे.

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