Ranchi: बीजेपी ने पेयजल और स्वच्छता के क्षेत्र में हेमंत सरकार को फिसड्डी बताते करते हुए कहा कि राज्य की जनता पानी के कारण मरणासन्न की स्थिति में है. सरकार प्यासे को पानी पिलाने के बजाय आश्वासन का घूंट दे रही है. बीजेपी के मुख्य सचेतक और बोकारो विधायक विरंची नारायण ने हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने पर पेयजल और स्वच्छता विभाग की समीक्षा के दौरान ये बातें कहीं.
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उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में प्रत्येक पंचायत में पांच- पांच चापाकल लगाने का वाद किया था. लेकिन साल भर बीत जाने के बाद भी एक चापाकल नहीं लगा. उन्होंने कहा कि यह सरकार उल्टा काम करती है. विजन लेस सरकार है. इस सरकार को सिर्फ घोषणा करना आता है, जमीन पर एक भी काम नहीं हुआ.
केंद्र की योजनाओं पर राज्य में सुस्ती
विरंची नारायण ने सरकार पर और हमलावर हुए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर घर शौचालय और आवास योजना के बाद 2024 तक हर घर नल से जल देने का निश्चय किया है. किंतु हेमंत सरकार की सुस्ती दर्शाता है कि राज्य के लोग पानी के लिए त्राहिमाम करेंगे. रघुवर सरकार में बनी अच्छी नीतियों को इस सरकार ने दरकिनार कर दिया है. 2020 में 572 करोड रुपए जल जीवन मिशन के तहत दिया गया था, लेकिन एक भी काम नहीं हुआ. झारखंड में 50 लाख आवास में पीने के लिए पानी की व्यवस्था करना है जबकि सरकार ने 1 वर्षों में 1.98 लाख आवास तक पानी की व्यवस्था की है. इसी गति में कार्य हुआ तो जो काम 5 वर्षों में होना है, उसे पूरा करने में 25 साल लगेंगे.
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रघुवर सरकार के द्वारा शुरू किये गए काम ठप
बिरंची नारायण ने कहा कि रघुवर सरकार ने 17 शहरों में 20 हजार करोड़ व ग्रामीण में 5275 हजार करोड़ से 234 ग्रामीण जलापूर्ति योजना शुरू किया था. आज वह सभी योजनाएं बंद है. हेमंत सरकार कोरोना का बहाना लेकर किसी भी मुद्दे पर एक भी काम नहीं किया है. गोविंदपुर, साहिबगंज और पांकी..छतरपुर में तीन बड़ी जलापूर्ति योजना, सुदूर नक्सल प्रभावित इलाके में सौर ऊर्जा के मदद से जलापूर्ति योजना शुरू किया गया. किंतु आज वे सभी काम बंद पड़े हैं. उन्होंने कहा कि इस सरकार में शौचालय निर्माण का कार्य भी ठप पड़ा है.
अफसर नहीं सुनते हैं मंत्रियों की बात
बिरंची नारायण ने आगे कहा कि सरकार पर अफसरशाही इतनी हावी है कि विभागीय मंत्री के आदेश को भी नहीं मानते हैं. विभागीय मंत्री को पत्र लिखने की जरूरत पड़ जाती है. इसी से सरकार की कार्यशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है.