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रांचीः शहर के बीचो-बीच एक और ‘झिरी’ बनाने की तैयारी में नगर निगम

-किशोर गंज- लेक रोड के बीचो-बीच लघु उद्योग निगम बिहार सरकार की 2.7 एकड़ के बंद पड़े चीनी मिट्टी कारखाना की जमीन पर निगम करने लगा कचरा डपिंग -इस जमीन का विवाद अभी पटना हाईकोर्ट में है लंबित, बिहार और झारखंड सरकार के बीच चल रहा दावेदारी केस Kaushal Anand/Tarun Choubey Ranchi: अभी रातू रोड के झिरी के डंपिग यार्ड से लोगों को राहत नहीं मिली है. आसपास के लोगों को असहनीय बदबू से निजात नहीं मिली है. मगर इसी बीच नगर निगम ने अघोषित रूप से शहर के बीचो-बीच एक और ‘झिरी’ बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है. कई वर्षों से यहां नगर निगम के द्वारा कचरा डंपिग और बड़ा तालाब से निकलने वाले जलकुंभी को डंप कर रहा है. कचरा लगातार डंप किए जाने के कारण इसकी जमीन करीब पांच फीट ऊंची हो गई है. जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि चूंकि यह सरकारी विवादित संपत्ति है, इसलिए सरकार यहां पर कोई ऑफिस-कार्यालय बनाए, अगर यह भी संभव नहीं है, तो पार्क बना दें. इसके निकट ही औघड़ भगवान राम आश्रम और फूल बाबा का आश्रम है. जहां पर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. मगर वे लोग यहां पर किसी भी कीमत पर कचरा डंप करने नहीं देंगे. कचरा डंप होने से आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा. खाली और परिसर खुला रहने के कारण रात को अपराधिक घटनाएं भी होती रहती हैं. परिसर के पीछे से अपराधी आसानी से भाग जाते हैं.

1990 में बंद हो गया चीनी मिट्टी कारखाना, तब से जमीन खाली, परिसंपत्ति हो गयी बर्बाद

यह जमीन किसी व्यक्ति ने लीज लेकर लघु उद्योग निगम बिहार सरकार से लोन लेकर चीनी मिट्टी कारखाना खोला था. मगर कुछ साल चलने के बाद और लोन चुकता नहीं करने की वजह से वह व्यक्ति दिवालिया घोषित हो गया और 1990 में यह कारखाना बंद हो गया. तब से इसकी परिसंपत्ति, गेट, दरवाजा आदि आहिस्ता-आहिस्ता चोरी हो गया. चहारदिवारी भी टूट गई. अभी भी एक चिमनी और एक बड़ा हॉल निशानी के तौर पर है.

राज्य गठन के बाद झारखंड ने किया जमीन पर दावा, केस पटना हाईकोर्ट में लंबित

वर्ष 2000 में झारखंड राज्य अलग हो गया. इसके बाद इस जमीन पर झारखंड सरकार ने अपना दावा शुरू कर दिया. इसके बाद यह मामला पटना हाईकोर्ट में चला गया, जो अभी कोर्ट में पेंडिंग है. यानी की जमीन अभी किसकी होगी, यह विचाराधीन है.

शिबू सरकार के समय इस जमीन पर डीवीसी का रिजनल ऑफिस खोलने का हो चुका है प्रयास

शिबू सोरेन जब मुख्यमंत्री थे और सैयद सिब्ते रजी राज्यपाल. उस समय इस जमीन पर डीवीसी का रिजनल ऑफिस खोलने का प्रयास हुआ था. मगर बिहार सरकार की आपत्ति के बाद यह ऑफिस नहीं खुल सका. तब से लेकर आज तक यह जमीन यूं ही पड़ी है.

जमीन अतिक्रमण को रोकने लिए 19 जनवरी 2012 को बीएसएसआइसी रांची डीसी को लिख चुका है पत्र

चीनी कारखाना बंद होने बाद इस जमीन का अतिक्रमण का भी प्रयास हुआ. इसके बाद बिहार स्टेट स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरपोरशन लिमिटेड ने 19 जनवरी 2012 को तत्कालीन डीसी को पत्र लिख कर इसका अतिक्रमण रुकवाने की अपील की.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

लेक रोड पश्चिम नागरिक मंच के अध्यक्ष आदित्य नाथ शाहदेव ने बताया कि यह सरकारी विवादित जमीन है. कचरा डपिंग से इसके दूसरी झिरी बनने की पूरी संभावना है. इसको लेकर नगर निगम और डीसी को पत्र भी लिखा गया है, मगर कोई कारवाई नहीं हुई. स्थानीय निवासी आशुतोष शाहदेव ने बताया कि इसके अतिक्रमण करने का कई बार प्रयास हुआ. जगह खाली रहने से रात को छिनतई और छोटे-मोटे क्राइम होते रहते हैं.खाली पड़े परिसर से लोग क्राइम करके पीछे के रास्ते से भाग जाते हैं. स्थानीय निवासी उमा अजय नाथ शाहदेव ने बताया कि सरकार यहां पार्क या कोई सरकारी ऑफिस खोल दे. चार-पांच वर्षों से कचरा डंप हो रहा है. यह ठीक है. वातावरण दुषित हो जाएगा. स्थानीय निवासी अजय बड़ाईक कहते हैं यह यह परिसर अपराधिक घटनाओं का अड्डा बन चुका है. रात नौ बजे के बाद इसके निकट कई अपराधिक घटनाएं हो चुकी है. सरकार इसे कचरा डपिंग यार्ड बननवाने के बदले कोई कार्यालय खोल दे. [wpse_comments_template]  

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