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रांची नगर निगम के बीमार स्वास्थ्य केंद्र: डॉक्टर लापता, दवाएं गायब, अव्यवस्थाओं का अंबार

Ranchi: रांची नगर निगम के स्वास्थ्य केंद्र खुद आईसीयू में हैं, लेकिन इलाज करने वाला कोई नहीं. मरीज डॉक्टर की तलाश में भटकते हैं और दवाएं अलमारियों में नहीं, बल्कि फाइलों में कैद हैं. सफाई का ऐसा हाल है कि बीमार यहां इलाज कराने आएं तो और बीमार होकर लौटें.

डॉक्टरों का अंडरग्राउंड मिशन

नगर निगम के 25 स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर होने का दावा तो किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. कई केंद्रों पर सिर्फ दो-तीन स्टाफ नजर आते हैं, डॉक्टर ढूंढने से भी नहीं मिलते. कुछ जगहों पर अदृश्य चिकित्सा पद्धति अपनाई जा रही है-मतलब डॉक्टर नदारद, इलाज भगवान भरोसे.

दवा स्टॉक: 100 होनी चाहिए, 44 से ही काम चलाओ

सरकार ने 100 तरह की दवाएं देने की योजना बनाई थी, लेकिन हकीकत में सिर्फ 44 दवाएं उपलब्ध हैं. बाकी 56 दवाओं की सप्लाई तीन बार टेंडर होने के बावजूद फंस गई. कारण? कोई भी कंपनी सरकारी शर्तों पर खरी नहीं उतरी. मरीजों के लिए इसका मतलब यह है कि इलाज की आधी व्यवस्था तो शुरू से ही अधूरी है.

निकाय चुनाव के बाद बेदखली की नौबत

कई स्वास्थ्य केंद्र फिलहाल पार्षद भवनों में चल रहे हैं, लेकिन निकाय चुनाव के बाद पार्षदों को यहां अपना आलीशान दफ्तर चाहिए. ऐसे में नगर निगम नए ठिकाने की तलाश में जुटा है और किराया ₹15 प्रति वर्ग फुट तय कर दिया गया है. भले ही स्वास्थ्य सुविधाएं ध्वस्त हों, लेकिन किराया व्यवस्था पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त है.

कागजों में स्वास्थ्य क्रांति, जमीनी हकीकत में स्वास्थ्य भ्रांति

नगर निगम 8 नए स्वास्थ्य केंद्र खोलने की बात कर रहा है, जिससे संख्या बढ़कर 33 हो जाएगी. 6 विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी नियुक्ति की जाएगी. अधिकारी दावा कर रहे हैं कि मई 2025 तक सभी केंद्रों को दुरुस्त कर दिया जाएगा और दवाओं की किल्लत खत्म हो जाएगी. पर सवाल वही है-क्या यह सुधार होगा, या यह योजना भी सरकारी फाइलों की कब्रगाह में दफन हो जाएगी? इसे भी पढ़ें – राहुल">https://lagatar.in/rahul-gandhi-priyanka-gandhi-and-other-congress-mps-from-kerala-protest-against-mnrega-wages/">राहुल

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