2047 तक बीमारी को खत्म करने का है लक्ष्य
Ranchi: राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के शहडोल से किया. वहीं झारखंड की राजधानी रांची के कांके प्रखंड स्थित कोकदोरो हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर से अभियान की शुरुआत हुई. जहां राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, एमडी एनएचएम आलोक त्रिवेदी, रांची सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की. बता दें कि विश्व में सिकल सेल के जितने मामले हैं, उसमें 50 प्रतिशत मामले अकेले भारत में हैं. आजादी की 100वीं वर्षगांठ 2047 तक देश को सिकल सेल से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इसे पढ़ें- धनबाद:">https://lagatar.in/dhanbad-anuradha-mishra-got-the-third-position-at-the-national-level-in-upsc/">धनबाद:यूपीएससी में अनुराधा मिश्रा को मिला राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कर रहा है हमारा राज्य: बन्ना गुप्ता
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि रक्त अनमोल है. इसका कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान की शुरुआत पर बीमार मरीजों के बेहतर इलाज करने का संकल्प लिया. कहा कि सिकल सेल वंशानुगत बीमारी है. जो माता-पिता के माध्यम से संतान तक पहुंचती है. यदि शादी के पूर्व युवक-युवती सिकल सेल की जांच करा लें तो इसकी रोकथाम की जा सकती है. इसके लिए बड़े पैमाने पर लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है. कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री ने सिकल सेल से पीड़ित लोगों को पिंक और ब्लू कार्ड का वितरण किया एवं आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के बीच आयुष्मान कार्ड का भी वितरण किया. इस योजना के लाभार्थी राज्य के किसी भी सरकारी या इससे संबद्ध निजी अस्पताल में 5 लाख रुपए की राशि तक का इलाज करा सकते हैं. जिसका भुगतान सरकार करेगी. साथ ही विभाग की योजनाओं की जानकारी दी. कहा कि आने वाले समय में राज्य के 24 जिलों में ब्लड सेपरेशन यूनिट लगाई जाएगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड का स्वास्थ्य विभाग आगे बढ़ रहा है.सिकल सेल के मरीजों की पहचान समय पर करने की जरुरत
अभियान की शुरुआत पर अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने एनीमिया बीमारी पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी बहुल इलाके में यह बीमारी बहुत ज्यादा है. खून से संबंधित इस बीमारी में रेड ब्लड सेल सिकल का आकार ले लेता है. आदिवासी बहुल इलाके में 86 बच्चों में एक बच्चा सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित हो जाता है. 100 में 20 प्रतिशत बच्चों की मौत दो साल पहुंचने तक हो जाती है. वहीं 16 साल की आयु तक पहुंचते-पहुंचते 30 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है. सिकल सेल का इलाज नहीं है, ये लाइलाज बीमारी है. ऐसे में पीड़ितों की पहचान करने की जरूरत है ताकि उनकी मदद समय पर हो सके. इसे भी पढ़ें- शाम">https://lagatar.in/evening-news-diary-01-july-2023-jharkhand-news-updates/">शामकी न्यूज डायरी।।01 JULY।।बीज घाटालाःमंत्री भोक्ता की कोर्ट में पेशी।।जेलों की सुरक्षा होगी मजबूत।।चतराःउठक-बैठक मामले में सीएम हेमंत ने लिया संज्ञान।।बिहारः सम्राट ने किसे कहा पप्पू,अप्पू और झप्पू।।जीएसटी संग्रह 1.61 लाख करोड़ के पार।।समेत देश-दुनिया की कई अहम खबरें।।
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