- पुनर्वास पहले, हटाने की कार्रवाई बाद में
- दिल्ली की तर्ज़ पर पक्के आवास का वैकल्पिक प्रावधान
- बुलडोज़र कार्रवाई पर तत्काल रोक
- प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा और कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए
रांची: बिरसा चौक पर अतिक्रमण के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग,विरोध जताया

Ranchi : सौंदर्यीकरण परियोजना की आड़ में बस्तियों को हटाए जाने के विरोध में गुरुवार को बिरसा चौक-बाइपास रोड एक बार फिर सुर्खियों में रहा. पिछले 50 वर्षों से जमीन पर बसे दो सौ से अधिक परिवारों ने बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले एचईसी प्रशासन के आवास-उजाड़ अभियान के ख़िलाफ़ जोरदार प्रदर्शन किया. दो दिन पहले नोटिस, आज बुलडोज़र : प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि एचईसी ने महज़ 48 घंटे पहले नोटिस जारी किया और गुरुवार को अचानक घर गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई.वहां रहने वाली लक्ष्मी देवी और सत्य देवी ने भावुक होकर कहा कि हम 2005 से दिल्ली-मॉडल के पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. आज हमारी औरतों को घसीटा गया, बच्चों के सामने घरों को तोड़ा गया. वोट लेते वक़्त हम भी इस शहर के नागरिक थे : पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे वर्षों से होल्डिंग टैक्स जमा कर रहे हैं, बिजली कनेक्शन, राशन कार्ड जैसे सभी सरकारी दस्तावेज़ उनके नाम पर हैं.एक वृद्ध प्रदर्शनकारी ने आक्रोश में कहा कि वोट मांगने सभी नेता आते हैं, तब हम नागरिक होते हैं. अब हमें ही अवैध बताया जा रहा है. जंगल से शहर तक: चार पीढ़ियों का संघर्ष : प्लास्टिक और झोपड़ियों में रह रहे परिवारों ने बताया कि एक समय यह इलाका लाल मिट्टी और गहरी खाइयों से भरा जंगल था. हमने अपने हाथों से गड्ढे भरे, तब जाकर ये बस्ती बनी.आज इन घरों में चौथी पीढ़ी पल रही है, लेकिन प्रशासन के नोटिस ने मोहल्ले में बेचैनी और बेघर होने का डर फैला दिया है. प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
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