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एक्सप्रेस के राउरकेला तक बढ़ाये जाने का विरोध, यात्रियों ने बताया रेलवे की साजिश
रेलवे ने इस ट्रेन को सौगात के तौर पर नहीं दिया. बल्कि वर्षों पुरानी मांग और आंदोलनों के चलते रेलवे ने यह ट्रेन हमें दिया. इसमें झारखंड सरकार की भी प्रमुख भूमिका रही. इस ट्रेन ने हमें आंदोलन के बारे में सिखाया. अब रेलवे इस ट्रेन के अस्तित्व पर ही चोट करने जा रही है. ऐसी स्थिति में इसकी रक्षा के लिए मिथिलांचल के रेलयात्री आंदोलन के लिए सड़क पर उतरने को तैयार हैं. यात्रियों ने कहा की यातायात के मामले में मिथिलांचल आज भी पिछड़ा है. ऐसी स्थिति में रेलवे ही एकमात्र यातायात का सबसे सशक्त साधन है. पिछले दो सालों के दरमियान रेलवे इस ट्रेन के वाणिज्य व्यवसाय को आजमा चुकी है. रेलवे मुख्यालय में बैठी उड़ीसा के एक अधिकारी के इशारे पर इस ट्रेन को राउरकेला से चलाया जा रहा है. लेकिन रेलवे के लिए यह लाभदायक सिद्ध नहीं होगा. इसे भी पढ़ें- रेलवे के निर्णय पर बरसे यात्री
रांची जयनगर को राउरकेला नहीं जाने देंगे इसके लिए जरूरत हुई तो आंदोलन भी करेंगे. इसी राउरकिला जाने से रांची के यात्रियों की बुकिंग नहीं होगी. बस वालों की मनमानी बढ़ेगी.alt="" width="721" height="1280" /> विद्यानंद ठाकुर,रांची संघर्ष करने के बाद ही रांची जयनगर को 2011 में रेलवे ने चलाया. अब फिर से राउरकेला भेज रही है. इसमें एक बड़े रेल अधिकारी का हाथ है. हम लोग नहीं जाने देंगे.
alt="" width="721" height="1280" /> प्रदीप चौधरी,रांची रेलवे कहती है की राउरकेला तक विस्तारित करने पर ट्रेन में बोगी भी बढ़ायी जाएगी. लेकिन और त्योहारों के दौरान यह तरकीब भी काम नहीं आती. भीड़ के अनुपात में बोगी कम साबित होती है.
alt="" width="721" height="1280" /> सुरेश कुमार मल्लिक,रांची ट्रेन को राउरकेला जाने से बचाने के लिए समाज को फिर से एकजुट होना होगा. मिथिलांचल के सारे संगठनों को एक होकर इस लड़ाई को लड़ना होगा. पंकज चौधरी, रांची झारखंड के बड़े राजनेताओं को भी इस मामले से अवगत कराना चाहिए. क्योंकि आजकल ऐसे सभी मामले राजनीति से ही जुड़े होते हैं. तभी समाधान संभव है.
alt="" width="169" height="300" /> राकेश कुमार दास,रांची