Ranchi : 86 किमी लंबी रिंग रोड में 100 से अधिक होटल व रेस्टूरेंट वाले मस्त हैं. अवैध तरीके से शराब का ठेका चलाते हुए रोज हजारों की कमाई कर रहे हैं. उत्पाद व पुलिस विभाग के पदाधिकारी भी मस्ती में गोते लगा रहे हैं. जबकि सरकार को टैक्स देने वाले, फीस के रुप में हर माह एकमुश्त रकम देने वाले बार मालिक त्रस्त हैं. रिंग रोड पर 5-6 लाइसेंसी बार हैं.
रिंग रोड में घूमते हुए हमने होटलों व रेस्टूरेंट में बैठ कर शराब पीने वाले कुछ लोगों से बात की. लोगों ने बताया कि बार में जाकर शराब पीना महंगा पड़ता है. इसलिए वो इन रेस्टूरेंट्स व होटल में आते हैं.
दुकान से बोतल खरीद लेते हैं और उन्हें सिर्फ 200-400 रुपया प्रति टेबल अतिरिक्त रकम चुकानी होती है. बदले में होटल मालिक थाने की पुलिस और उत्पाद विभाग के छापे से सुरक्षा मुहैया कराने का वायदा करता है.
होटलों में शराब पीने की व्यवस्था मिल जाने का सीधा असर रिंग रोड पर खुले बार पर पड़ रहा है. बार में गिने-चुने कस्टमर ही पहुंचते हैं. इस वजह से बार मालिकों को गरमी के मौसम में भी बीयर बेचने के लिए स्कीम लाना पड़ रहा है. ताकि सरकार ने जितना कोटा फिक्स कर रखा है, उतने बीयर की बोतलें बिक जाये.
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शराब पर भी स्कीम देना पड़ रहा है. ताकि ग्राहक होटलों में छिप कर शराब पीने के बदले उनके यहां पहुंचे. पर दिक्कत यह है कि बार में कस्टमर को शराब की ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है और होटलों में बहुत कम.
हालांकि रिंग रोड के होटल व रेस्टूरेंट के मालिक व कर्मचारी ग्राहकों का शोषण करते हैं. खाना व स्नैक्स में जो परोसा जाता है, वह निम्न दर्जे का होता है. यहां तक कि दो अंडे को 4-4 भाग में काट कर 8 अंडा पकोड़ा बना देते हैं और 149 रुपया का बिल थमा देते हैं.
एक ग्राहक ने बताया कि पकोड़े के बेसन की क्वालिटी खराब ही रहती है. खाने के अन्य वेज चिली, चिकन चिली, रोटी, सब्जी जैसे सामानों की क्वालिटी भी बहुत अच्छी नहीं रहती. इसके साथ ही वहां पंखे तक का इंतजाम ठीक से नहीं रहता है. मच्छड़ों का डंस झेलना पड़ता है सो अलग.