शिकायत के बाद ही सफाई क्यों? क्या यह सुलभ इंटरनेशनल की नई नीति है?
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सफाई की जिम्मेदारी निभाने वाली एजेंसी को अपनी जिम्मेदारी खुद से क्यों नहीं निभानी चाहिए? अगर यूरिनल और बाथरूम की सफाई के लिए एक निश्चित शेड्यूल तय किया गया है, तो उसका पालन क्यों नहीं हो रहा? क्या सफाई सिर्फ तब होगी, जब कोई शिकायत करेगा? शहरवासियों का कहना है कि अगर सफाई नियमित रूप से हो रही होती, तो शौचालयों की यह दुर्दशा नहीं होती. साफ-सफाई के लिए बार-बार शिकायत करना क्या आम जनता की जिम्मेदारी है? क्या सुलभ इंटरनेशनल को स्वेच्छा से अपने काम को अंजाम नहीं देना चाहिए? नगर निगम का दावा है कि शहर के सभी सार्वजनिक शौचालयों की सफाई तय समय पर की जाती है, लेकिन धरातल पर स्थिति बिल्कुल अलग है. कई शौचालयों में महीनों से सफाई नहीं हुई, कई में पानी की टंकी होने के बावजूद पानी उपलब्ध नहीं है और कुछ शौचालय इतने गंदे हैं कि लोग इन्हें इस्तेमाल करने से बचते हैं. शहर के नागरिकों का कहना है कि अगर नगर निगम ने सुलभ इंटरनेशनल को सफाई का जिम्मा सौंपा है, तो इसकी निगरानी भी होनी चाहिए. केवल कागजी आदेश और दावों से शहर स्वच्छ नहीं होगा, इसके लिए जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे. इसे भी पढ़ें – मुंबई">https://lagatar.in/mumbai-attack-convict-tahawwur-rana-appeals-to-us-sc-dont-send-me-to-india-i-am-a-pakistani-muslim-will-be-tortured/">मुंबईहमले के गुनहगार तहव्वुर राणा की अमेरिकी SC से गुहार, भारत न भेजें, पाकिस्तानी मुस्लिम हूं, प्रताड़ित करेंगे हर खबर के लिए हमें फॉलो करें Whatsapp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q
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