Ranchi: झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम की नई किताब आदिविद्रोही तिलका मांझी का लोकार्पण 4 अप्रैल को होगा. पुरूलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में यह कार्यक्रम आयोजित है. यह किताब हाल ही में वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है. यह हुलगुलान के शहीद श्रृंखला की पहली कड़ी है, जो झारखंड के वीर शहीदों की संघर्ष गाथाओं को सामने लाने का प्रयास की गई है. लेखक ने इस पुस्तक में उल्लेख किया है कि तिलका मांझी कोई काल्पनिक पात्र नहीं, बल्कि वही जबरा पहाड़िया थे. जिनका उल्लेख अंग्रेज इतिहासकार अगस्टस क्लीवलैंड के समय में मिलता है. समुदाय में बड़ी-बड़ी आंखों वाले को तिलका कहने की परंपरा थी और यही नाम इतिहास में अमर हो गया. ऐतिहासिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए लेखक बताया कि तिलका मांझी पहाड़िया समुदाय से थे न कि संताल. उस समय जंगलतरी में संतालों की संख्या बहुत कम थी. जबकि पहाड़िया गांव बड़ी संख्या में मौजूद थे और अंग्रेजों द्वारा उन पर राजस्व थोपने की साजिश के खिलाफ संगठित प्रतिरोध किया गया था. तिलका मांझी इस विद्रोह के महानायक बने और भागलपुर में उन्हें सरेआम फांसी पर लटका दिया गया. तब से यह स्थल तिलका मांझी चौक के रूप में जाना लगा है. आज भी यह स्थल प्रेरणा का केद्र बना हुआ है. इसे भी पढ़ें – पश्चिम">https://lagatar.in/west-bengal-supreme-court-confirms-calcutta-high-courts-decision-25753-teachers-appointments-cancelled/">पश्चिम
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रांची: पुस्तक 'आदिविद्रोही तिलका मांझी' का लोकार्पण 4 को

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