Ranchi : रांची के ज्यादातर सरकारी कार्यालयों का हाल बहुत बुरा है. यकीन मानिये अगर आप किसी दफ्तर में काम से गये हैं और सम्बद्ध कर्मचारी जल्द मिल जाये और काम भी निपट जाये तो आप किस्मत वाले हैं.क्योंकि आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें छोटे-छोटे कामों के लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ताजा मामला रांची के कांके अंचल से जुड़ा हुआ है. जहां एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर को 2008 से लेकर अबतक अंचल कार्लायल, संबंधित थाना, जिला प्रशासन और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
दूसरे लोग ले जाते हैं काटकर फसल
मोहन कुमार साहु के मुताबिक उन्होंने वर्ष 2008 में पिठोरिया में अपनी गाढ़ी कमाई से एक जमीन का टुकड़ा खरीदा. सरहद पर सैनिक के रुप में देश की सेवा करने के बाद मोहन कुमार साहु किसान बनकर लोगों का पेट भरना चाहते थे. इसलिए उन्होंने यह जमीन खरीदी. लेकिन जमीन खरीदने के बाद भी वे उसपर कभी फसल नहीं उगा सके. अगर उन्होंने खेती कर भी ली तो फसल दूसरे लोग काटकर ले जाते हैं. इन सबी बातों की जानकारी उन्होंने लिखित तौर पर कांके अंचल अधिकारी, पिठोरिया थाना और सदर एसडीओ तक को दी. लेकिन इन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिली. मोहन और उनके बेटे 13 वर्षों से सरकारी कार्यालयों में टेबल-टेबल घुमकर फरीयाद कर रहे हैं. इस उम्मीद में की कोई पदाधिकारी जरुर ऐसा होगा जो उनकी मिन्नत को मंजूर कर लेगा. लेकिन इन्हें अबतक सिर्फ कोरा अश्वासन ही मिला है. यह सिलसिला कब तक चलेगा ये न तो मोहन कुमार साहु को पता है और न ही अश्वासन देने वालों को. 60 वर्ष से अधिक की उम्र में मोहन कुमार की आम दिनचर्या बन गयी है कि वे अपनी जमीन के कागजात एक झोले में डालकर जिला प्रशासन के भवन में मौजूद अधिकारियों से गुहार लगाने पहुंच जाते हैं. महीने भर में वे अपने बेटे के साथ 6-7 बार आपना और बेटे का काम छोड़ प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगाते रहते हैं. पर अब तक उनका काम जहां था वहीं अटका है.