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रांची: CUJ में गूंजा जनजातीय अधिकारों का मुद्दा

Ranchi: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने मंगलवार को सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड का दौरा किया और वहां कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं से संबंधित गंभीर मुद्दों की समीक्षा की. डॉ. लकड़ा ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देशित किया कि इंटरनल ग्रीवांस सेल का गठन शीघ्र किया जाए, जिसमें एक महिला और एक अनुसूचित जनजाति समुदाय का प्रतिनिधि अनिवार्य रूप से शामिल हो. उन्होंने कहा कि यह सेल संस्थान के भीतर एसटी समुदाय के लिए न्याय की पहली सीढ़ी होगी.

अनुकंपा नियुक्तियों में घोर लापरवाही

समीक्षा के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. डॉ. लकड़ा ने बताया कि कोरोना काल में दिवंगत डॉ. वाटर वे, दीपक कुमार (एलडीसी), सुमन रंजनी और नेहा (जूनियर इंजीनियर) के आश्रितों को अब तक न तो अनुकंपा आधारित नियुक्ति मिली है और न ही कोई आर्थिक या सामाजिक राहत. विश्वविद्यालय को निर्देश दिया गया है कि इन सभी मामलों की रिपोर्ट तैयार कर आयोग को अविलंब भेजी जाए. डॉ. लकड़ा ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में एसटी वर्ग के छात्रों की संख्या चिंताजनक रूप से कम है. इस पर उन्होंने कुलपति को निर्देश दिया कि नामांकन अभियान चलाया जाए, जिससे सुदूरवर्ती क्षेत्रों के छात्र भी विश्वविद्यालय की योजनाओं और कोर्सेज से जुड़ सकें. उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को केवल डिग्री नहीं, बल्कि व्यक्तित्व विकास का अवसर भी मिलना चाहिए. इसके लिए उन्होंने पर्सनालिटी डेवलपमेंट, स्किल ट्रेनिंग व करियर गाइडेंस जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की बात कही. डॉ. लकड़ा ने विश्वविद्यालय में नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए स्पष्ट नियमावली के अभाव को गंभीर मुद्दा बताया और जल्द से जल्द नीति तैयार करने का निर्देश दिया. साथ ही, एसटी वर्ग के सहायक प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तेज करने की सिफारिश की.

शिक्षा के अधिकार को मिलेगा नया आयाम

उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को यूजीसी की गाइडलाइन्स के अनुसार फीस संरचना पारदर्शी बनाने और छात्रवृत्तियों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, सरकारी योजनाओं का लाभ जब तक ज़रूरतमंद तक नहीं पहुंचे, तब तक वे केवल कागज़ी घोषणाएं हैं. इस दौरे के दौरान डॉ. आशा लकड़ा ने विश्वविद्यालय में कार्यरत एसटी प्रोफेसर्स, नॉन-टीचिंग स्टाफ और छात्रों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं. उनकी संवेदनशीलता और सशक्त दृष्टिकोण ने उपस्थित लोगों में आशा और विश्वास का संचार किया. इसे भी पढ़ें – मुंबई">https://lagatar.in/the-way-is-cleared-to-bring-mumbai-attack-accused-tahawwur-rana-to-india-petition-rejected-in-us-supreme-court/">मुंबई

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