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आरबीआई का फैसला, लगातार छठी बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, रेपो रेट 4 फीसदी बरकरार

LagatarDesk : आरबीआई ने आज कैलेंडर ईयर 2021 की तीसरी मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा है. इस बार भी आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर स्थायी है. बैंक रेट 4.25 फीसदी पर बरकरार है.

आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया

शक्तिकांत दास ने कहा कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया. गवर्नर ने कहा कि वैक्सिनेशन से इकोनॉमी स्थिरता में मदद मिलेगी. आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 के लिए रियल जीडीपी माइनस 7.3 फीसदी रहेगा. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान घटा दिया है. आरबीआई के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 9.5 फीसदी रहेगा. पहले रिजर्व बैंक ने 10.50 फीसदी का अनुमान जताया था.

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खुदरा महंगाई दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान

एमपीसी का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में रिटेल इंफ्लेशन 5.1 फीसदी रहेगी. जून तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.2 फीसदी, सितंबर तिमाही में 5.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 4.7 फीसदी और मार्च तिमाही में 5.3 फीसदी रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक ने रिटेल इंफ्लेशन का लक्ष्य 4 फीसदी रखा है. हालांकि रिजर्व बैंक ने अपर लिमिट 6 फीसदी और लोअर लिमिट 2 फीसदी रखा गया है.

40 हजार करोड़ का गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज खरीदेगा रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक ने एक बार फिर गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज खरीदने का फैसला किया है. 17 जून को आरबीआई 40 हजार करोड़ का गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज खरीदेगा. आरबीआई ने दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के बीच 1.20 लाख करोड़ का गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज खरीदने का फैसला लिया है.

बुधवार से शुरू हुई थी आरबीआई एमपीसी की बैठक

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू हुई थी. आरबीआई की एमपीसी की बैठक हर दो महीने में होती है. इससे पहले मौद्रिक नीति समिति की बैठक अप्रैल में हुई थी. पिछले बार भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. आरबीआई ने लगातार">https://lagatar.in/">लगातार

छठी बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया.

आम-जनता को सस्ती ईएमआई के लिए करना पड़ेगा लंबा इंतजार

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि ग्राहकों को बैंक से मिलने वाले कर्ज सस्ते हो जायेंगे. इस बार भी आम-जनता को कोई राहत नहीं मिली. आम-जनता को सस्ती ईएमआई के लिए इस बार भी लंबा इंतजार करना पड़ेगा.

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