Abhilasha shahdeo
LagatarDesk : देश में महंगाई आसमान छू रही है. इस बीच 5 अगस्त को आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा करने का ऐलान किया. रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.40 फीसदी हो गया. यह लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा किया है. इस तरह तीन महीने में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी की है. आरबीआई ने 4 मई को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. अब अगस्त में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट की बढ़ोतरी की है. (पढ़ें, जम्मू- कश्मीर : स्टूडेंट्स से भरी मिनी बस खाई में गिरी, 8 छात्र घायल)
आम जनता पर और बढ़ा महंगाई का बोझ
आरबीआई ने महंगाई को काबू करने के लिए रेपो रेट को बढ़ा रही है. लेकिन आरबीआई के उपायों से आम आदमी को महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रहा है. उल्टा लोगों को अब पहले की तुलना में बैंकों को ज्यादा ईएमआई भरनी पड़ेगी. क्योंकि रेपो रेट बढ़ने से लोन पर इंटरेस्ट बढ़ेगा. होम लोन, कार लोन और पर्सनल सहित सभी तरह का लोन लेना महंगा हो जायेगा. लोन महंगा होने से मीडिल क्लास वाले की मुश्किल बढ़ जायेगी. आम लोगों को घर, कार, कंज्यूमर प्रोडक्ट्स सहित अन्य चीजों को खरीदने के लिए सोचना पड़ेगा.
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चालू वित्त वर्ष में रेपो रेट बढ़कर 6-6.5 फीसदी होगा
बता दें कि आरबीआई फिर से ब्याज दर में वृद्धि कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो आम जनता की मुश्किलें और बढ़ सकती है. लोगों की जेब पर ईएमआई का बोझ दोगुना हो जायेगा. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) उस समय तक रेपो रेट को बढ़ायेगा जब तक चालू वित्त वर्ष में यह 6-6.5 फीसदी तक नहीं पहुंचता. इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा है कि आरबीआई ‘तटस्थ नीतिगत दर’ हासिल करने तक रेपो दर में इजाफा जारी रख सकता है.
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क्या होती है रेपो दर?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हो जाता है.
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